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पूर्व सचिव नपच्याल और जे.पी. ममगाईं बने सूचना आयुक्त

DEHRADUN : शनिवार को सूचना आयुक्तों के चयन के सम्बंध में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में गठित चयन समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक में सर्वसम्मति से चयन समिति द्वारा श्री चन्द्र सिंह नपल्च्याल, सेवानिवृत्त आई.ए.एस. अधिकारी तथा श्री जे.पी.ममगाई, सेवानिवृत्त आई.आर.एस. अधिकारी को सूचना आयुक्त के लिए चयनित किया गया। चयन समिति की इस बैठक में कैबिनेट मंत्री श्री मदन कौशिक, नेता प्रतिपक्ष डॉ. इन्दिरा ह्दयेश, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी उपस्थित थी।

त्रिवेंद्र सरकार द्वारा जे पी ममगाई जो कि भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी हैं को राज्य सूचना आयुक्त जिम्मेदारी दी गई है। त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले को बहुत व्यावहारिक बताया जा रहा है ।

जेपी ममगाईं उत्तराखंड मूल के हैं और उत्तराखंड के विषयों पर गहरी पकड़ रखते हैं ।वह अटल जी की स्वर्णिम चतुर्भुज योजना जिसके मंत्री जनरल बीसी खंडूरी थे, उनके साथ इस महा योजना की रेख देख में बड़ा योगदान दे चुके हैं।

वह पूर्व मुख्यमंत्री जनरल खंडूरी के विशेष कार्याधिकारी रहे हैं, उन्हें बहुत सुलझा हुआ और व्यवहार कुशल अफसर माना जाता है ।उत्तराखंड की प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए वह दिल्ली में उत्तराखंड सरकार के निवेश और विनिवेश आयुक्त भी रहे।

उत्तराखंड में दुर्गम क्षेत्रों तक भ्रमण करके उनके परिचय का दायरा और उत्तराखंड के विषयों की समझ गहरी है जिसका लाभ उत्तराखंड के उन फरियादियों को मिलेगा जो छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर शासन में एरिया रगड़ते हैं।

सामान्य सी पृष्ठभूमि के ममगाईं की शिक्षा दीक्षा विदेश में भी हुई है वह नॉर्वे से सेल्यूलोस टेक्नोलॉजी में पीजी डिप्लोमा है, जो कि विश्व की एक प्रतिष्ठित टेक्निकल यूनिवर्सिटी है। और आईआईटी रुड़की से जो कि तत्कालीन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सहारनपुर के नाम से जाना जाता था में पल्प एंड पेपर टेक्नोलॉजी में विशिष्ट विशेषज्ञता हासिल की है

हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा आईआरएस से अवकाश प्राप्त होने के बाद ममगाईं पूरे देश में जीएसटी, सीमा शुल्क और सूचना के अधिकार विषय के मामले में कंसल्टेंसी दे रहे हैं।

पौड़ी जनपद के मूल निवासी निवासी ममगाई का निरंतर पलायन और शिक्षा को लेकर अभियान जारी रहता है, त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले को काफी सराहा जा रहा है।

गौरतलब हो कि सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों के सापेक्ष 170 लोगों ने आवेदन किया था। तमाम आवेदनों की छंटनी के बाद 115 आवेदन  चयन समिति के समक्ष प्रस्तुत किए गए थे। सूचना आयुक्तों के लिए नामित चयन समिति में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक हैं। इस समिति की पहली बैठक मई में हुई थी।

इस बैठक में तमाम गहन चर्चा के बावजूद भी किसी नाम पर सहमति नहीं बनी। इसके बाद एक बार फिर यह बैठक बुलाई गई लेकिन नेता प्रतिपक्ष के न पहुंचने के कारण इसमें कोई निर्णय नहीं हो पाया। तीसरी बैठक 11 जुलाई हुई थी। लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया। खासतौर पर सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय दावेदारों के नामों को अंतिम रूप देने में कई तरह से उठ रहे विवादों को देखते हुए सरकार ने पूर्व नौकरशाहों पर ही भरोसा जताया।

शनिवार शाम मुख्यमंत्री आवास में चयन समिति की बैठक में सरकार ने उक्त दोनों पूर्व नौकरशाहों की नियुक्ति का रास्ता साफ कर तकरीबन तीन माह बाद प्रकरण का पटाक्षेप कर दिया है। हालांकि पूर्व नौकरशाहों की नियुक्ति में भी उनकी हाई प्रोफाइल संबंधों की भी अहम भूमिका बताई जा रही है।

देवभूमि मीडिया परिवार की ओर से दोनों सूचना आयुक्तों को हार्दिक बधाइयां और शुभकामनायें 

devbhoomimedia

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