विजय दिवस पर शहीदों को नमन करते हुए वीर नारियां को किया गया सम्मानित
- उत्तराखण्ड की पहचान एक सैन्य प्रदेश के रूप में : मुख्यमंत्री
- वीरगति को प्राप्त होने वाले सैनिकों के आश्रितों को शैक्षिक योग्यता के आधार पर देगी नौकरी
देहरादून : मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 16 दिसम्बर 1971 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 90 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया। जिसके परिणामस्वरूप देश और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनैतिक परिवर्तन हुआ और बंग्लादेश के रूप में नए राष्ट्र का उदय हुआ। पाकिस्तान पर भारत की इस विजय ने भारत की रणनीति, राजनीति एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस युद्ध में उत्तराखण्ड के 248 सैनिकों ने अपने प्राणों की अहुति दी एवं 78 वीर सैनिक घायल हुए। 1971 के युद्ध में उत्तराखण्ड के 74 रणबांकुरों को वीरता पदक से सम्मानित किया गया। जिसमें से 36 वीर जवान देहरादून के थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत शनिवार को गांधी पार्क, देहरादून में विजय दिवस के अवसर पर शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद उपस्थित पूर्व सैनिकों सहित वीरांगनाओं के जन समूह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड की पहचान एक सैन्य प्रदेश के रूप में है। सम्पूर्ण भारत में देवभूमि एवं वीरभूमि उत्तराखण्ड को वीर सैनिकों की वजह से विशिष्ट पहचान मिली है। उत्तराखण्ड की सैनिक पृष्ठभूमि का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से देश में सरहना होती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उत्तराखण्ड की अनेक विभूतियां सुरक्षा के क्षेत्र में उच्च पदों पर कार्य कर रहे हैं, जो प्रदेश के लिए गौरव का विषय है।
उन्होंने कहा सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत, डीजी कोस्टगार्ड राजेन्द्र सिंह एवं तमाम मिलिट्री आपरेशन से जुड़े मसलों में उत्तराखण्ड के निवासी वर्तमान में देश का प्रतिनिधत्व कर रहे हैं। उन्होने कहा कि सैनिक एवं अर्द्धसैनिक बलों मे ड्यूटी के दौरान वीरगति को प्राप्त होने वाले उत्तराखण्ड के निवासी के आश्रित को राज्य सरकार द्वारा उनकी शैक्षिक योग्यता के आधार पर सेवायोजित किया जायेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वीरता पदक प्राप्त उत्तराखण्ड के 428 सैनिकों व शहीद सैनिकों के परिवारजनों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार ने रिस्पना नदी एवं कुमांऊ की कोसी नदी को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया है। इसकी जिम्मेदारी ईको टास्क फोर्स को दी गई है। उन्होंने इन नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिए जनता से जनसहयोग की अपील की है।
इस अवसर पर मेयर व विधायक विनोद चमोली, विधायक गणेश जोशी, विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन, जनरल आनन्द स्वरूप, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल डी.के.कौशिक ने भी शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
वहीँ प्रदेश के कई स्थानों में विजय दिवस पर शहीदों का याद किया गया और उनके बलिदान को स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही प्रदेश की वीर नारियों को सम्मानित किया गया। कोटद्वार में जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय लैंसडौन की ओर से इंडो-पाक वॉर 1971 में शहीद हुए सैनिकों को याद करते हुए विजय दिवस मनाया गया। इस मौके पर राजेश्वरी देवी, गंगोत्री देवी, विमला देवी, लीला देवी, चन्दी देवी, आनन्दी देवी, जशोदा देवी, सुशील देवी को स्मृति चिन्ह व शॉल भेंटकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में सहायक अधिकारी जिला सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास लैन्सडौन चण्डी प्रसाद धूलिया, ले. कर्नल बीबी ध्यानी, ले. कर्नल बीएस गुसांई, मेजर महावीर सिंह नेगी, तहसीलदार सीएस रावत, रिटायर्ड कैप्टेन शिव सिंह, सूबेदार मेजर आरपी थपलियाल आदि उपस्थित थे।
पौड़ी में विजय दिवस पर शहीद सैनिकों को याद करते हुए दो मिनट का मौन रखा गया। शहीद स्मारक पर विभिन्न 852 शहीद सैनिकों को भी श्रद्धांजलि दी गई। पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर शिक्षण संस्थानों की ओर से कई रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। पूर्व में आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजेता और उपविजेताओं को पुरस्कार वितरित किए गए। पौड़ी जिला कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक पौड़ी मुकेश कोली ने कहा कि देश की अखंडता और एकता को बनाएं रखने में सेना के वीर जवानों की भूमिका अहम है।
रुद्रप्रयाग में विजय दिवस पर सेना के कैंप में शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि एवं श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। 10 जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेन्ट्री रेजीमेंट रुद्रप्रयाग द्वारा एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इसमें डीएम के हाथों शहीदों की पत्नियों को सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों की स्मृति में 16 दिसम्बर को विजय दिवस मनाया जाता है। कहा कि इस दिन शहीदों की भूमिका और राष्ट्रीय एकता का स्मरण करना है। उन्होंने कहा कि हम सब अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी एवं निष्ठा से करें, यही हमारी शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कहा कि यह दिन हमारे लिये प्रतीकात्मक है क्योंकि इस दिन हमने मुक्ति वाहनी सेना के साथ मिलकर पूर्वी बंगला देश को मुक्त कराया था।
वहीं श्रीनगर के श्रीकोट गंगानाली में पूर्व सैनिक सेवा कल्याण समिति ने 1971 में पाकिस्तानी सेना को धूल चटाने वाले वीर सैनिकों और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर संगठन के अध्यक्ष दर्शन सिंह भंडारी ने कहा कि इस दिन भारतीय सेना ने पूर्व पकिस्तान (बंग्लादेश) पाकिस्तान सेना से मुक्त करवा कर स्वतंत्र बंगलादेश को बनाया था। भारतीय सेना की इस वीरता के लिए पूरे विश्व में सराहना की जाती है। जिसे भारतीय सेना आज विजय दिवस के रूप में मनाती है। इस मौके पर मुख्य अतिथि मेजर प्रेम मलासी, पूर्व अध्यक्ष हयात सिंह झिंकवाण, रूद्र सिंह, बलवदेव सिंह, चंद्र सिंह, मनवर सिंह, रणवीर सिंह, विभोर बहुगुणा, राम सिंह बिष्ट, विरेंद्र सिंह रावत, सुरेश चंद्र, गिरीश चद्र, गजराज सिंह, बुद्धिबल्लभ बहुगुणा, जगमोहन नयाल, वल्व प्रसाद आदि मौजूद रहे।