यूपीसीएल को 4.68 करोड़ का चूना लगने की बात सामने आई
चमोली । हालिया कैग रिपोर्ट में बिजली खरीद फरोख्त पर सवाल उठने के बाद, उत्तराखंड पाॅवर काॅरपोरेशन के सामने लांग टर्म परचेज एग्रीमेंट करने की चुनौती है। दरअसल शाॅर्ट टर्म बिजली खरीदने की प्रक्रिया में यूपीसीएल को 4.68 करोड़ का चूना लगने की बात सामने आई है।
विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन सुभाष कुमार का कहना है कि अगले 25 सालों के लिए 4 सौ मेगावाट का करार हो गया है। वहीं प्रबंध निदेशक का कहना है कि आपूर्ति सुचारू रखने के लिए यूपीसीएल को शाॅर्ट टर्म बिजली खरीदनी पड़ती है।
कहने की जरूरत नहीं है कि गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान पेश हुई कैग रिपोर्ट ने, उत्तराखंड पाॅवर काॅरपोरेशन के लघुकालीन करार के आधार पर बिजली खरीदने पर सवाल खड़े किए। वजह ये कि बगैर बाजार में रजिस्ट्रेशन शाॅर्ट टर्म एग्रीमेंट के आधार पर बिजली खरीदने में यूपीसीएल को 4.68 करोड रूपये का नुकसान हुआ था। पूर्व मुख्य सचिव और मौजूदा विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन सुभाष कुमार राज्य में जरूरत के मुकाबले करीब 450 मेगावाट बिजली का उत्पादन कम हो रहा है। कैग की मंशा के मद्देनजर पहले ही अगले 25 सालों के लिए 4 सौ मेगावाट का लांग टर्म करार हो चुका है।
गौरतलब है कि कैग रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011-12 और 2014-15 के बीच शाॅर्ट टर्म एग्रीमेंट के तहत बिजली खरीदी गई। एनर्जी एक्सचेंज मार्केट में रजिस्ट्रेशन ना होने की वजह से यूपीसीएल को अतिरिक्त रकम अदा करनी पड़ी। उस प्रक्रिया के दौरान यूपीसीएल को 4.68 करोड रूपये अतिरिक्त देने पड़े।
लेकिन प्रभारी प्रबंध निदेशक एमके जैन की दलील है कि हमें नुकसान नहीं हुआ क्योंकि एनर्जी एक्सचेंज में रहते हुए भी इतना खर्च आता। उनके मुताबिक राज्य में सर्दियों के दौरान जल विद्युत उत्पादन गिर जाता है, जिसके मद्देनजर पाॅवर काॅरपोरेश को शाॅर्ट टर्म पाॅवर परचेज करनी पड़ती है।
कैग रिपोर्ट से साफ है कि मौजूदा कांग्रेस और पूववर्ती बीजेपी के निजाम में यूपीसीएल की कार्यशैली सवालों के घेरे में रही है बहरहाल जरूरत इस बात की है कि यूपीसीएल बिजली खरीदत फरोख्त की प्रकिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाए और नुकसान से बचने के लिए अधिकाधिक दीर्घकालीन करार करने होंगे.