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देश के 50 लाख परिवार संघ की परिवार शाखा में होंगे शामिल

सरकार्यवाह के आह्वान पर रविवार को पूरे देश में एक साथ होगी संघ प्रार्थना

परिवार के साथ योग व व्यायाम की स्वयं सेवकों को दी जा रही है फोन पर सूचना

देवभूमि मीडिया ब्यूरो
देहरादून : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इतिहास में पहली बार सभी स्वयंसेवक अपने-अपने घरों में परिवार के साथ एक घंटे की शाखा लगा रहे हैं। इस व्यवस्था को परिवार शाखा यानी कुटुंब शाखा नाम दिया गया है जिसे अब वृहद रूप दिया जा रहा है ।

उल्लेखनीय है कि संघ अपने मूल उद्देश्य को छोड़कर समय के साथ अपने को बदलने से कभी परहेज नहीं किया। कोरोना वायरस को लेकर मैदानों में शाखा बंद होने के बाद स्वयंसेवकों को गतिशील बनाए रखने के लिए परिवार शाखा यानी कुटुंब शाखा की शुरुआत कर दी है। संघ के इतिहास में पहली बार सभी स्वयंसेवक अपने-अपने घरों में परिवार के साथ एक घंटे की शाखा लगा रहे हैं। इस व्यवस्था को अब वृहद रूप दिया जाएगा।

आरएसएस महानगर देहरादून के प्रचार प्रमुख श्री हिमांशु अग्रवाल के अनुसार रविवार को पूरे देश में परिवार शाखा यानी कुटुंब शाखा लगाई जाएगी। इसमें पूरे देश के लगभग 50 लाख परिवारों के शामिल होने की संभावना है।

वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्रवाह भय्याजी जोशी ने इसके लिए स्वयंसेवकों से आह्वान किया है कि वे एक साथ 19 अप्रैल की शाम अपने-अपने घरों में संघ की प्रार्थना करें। इसके लिए 5:30 बजे शाम का समय तय किया गया है। उन्होंने बताया हालांकि यह अस्थायी व्यवस्था है। स्थिति सामान्य होने के बाद मैदानों में पूर्ववत शाखा लगनी शुरू हो जाएगी।

वहीं संघ के एक केंद्रीय अधिकारी ने कहा कि 19 अप्रैल के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गांवों तक संघ का सूचनातंत्र कितना मजबूत है इसका आकलन करना भी है। इसलिए केवल फोन से ही इसकी सूचना दी जा रही है। इस कार्यक्रम में सभी परिवारों को मिलाकर कितने लोग शामिल हुए, उस दिन पूरी जानकारी मिल पाएगी।

बच्चों और महिलाओं को बेहतर तरीके से समझने का मिला मौका : संघ के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार लॉकडाउन के कारण कुटुंब शाखा की शुरुआत होने के बाद घर की महिलाओं और बच्चों को बेहतर तरीके से संघ को समझने का मौका मिल रहा है। स्कूल एवं ट्यूशन के कारण आरएसएस परिवार के जो बच्चे शाखा नहीं जा पाते थे वर्तमान परिस्थिति में उन्हें भी संघ की शाखा में शामिल होने का मौका मिल रहा है। इसके साथ ही इस कुटुंब शाखा के माध्यम से संस्कारों को पुनर्जीवित करने और व्यक्ति निर्माण की प्रक्रिया निर्बाध गति से जारी रखने का काम हुआ। साथ ही यह तय हो गया कि किसी भी परिस्थिति में स्वयंसेवक अपने कार्य में लगा रहता है।

संघ के अधिकारियों ने बताया कि पूरे देश में 70 लाख से अधिक स्वयंसेवक हैं। कुटुंब शाखा में रविवार को इन्हें एक साथ जोड़ने की योजना है। उन्होंने बताया कि संघ ने कई बार परिस्थितियों के अनुसार अपने आप में बदलाव किया है यह बात आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत भी कई बार कह चुके हैं कि भारत माता को परम वैभव पर पहुंचाने के मूल उद्देश्य को छोड़कर संघ ने समय एवं परिस्थिति के अनुसार अपने को बदलने में कभी भी परहेज नहीं किया है। यही कारण है कि 95 वर्षो के बाद भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ निर्बाध रूप से विश्व का सबसे बड़ा संगठन बना हुआ है। संघ में बदलाव का ही नतीजा है कि स्वयंसेवकों के गणवेश में भी संघ समय-समय पर परिवर्तन करता रहा। हाफ पैंट की जगह फुलपैंट होने के साथ ही अब चमड़े का कोई भी सामान स्वयंसेवकों के गणवेश में शामिल नहीं है। इतना ही नहीं जूते तक अब कपड़े के ही बन रहे हैं।

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