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14वें राष्ट्रपति बने कोविंद कहा : “देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता”

Shri Ram Nath Kovind addressing after taking oath of the office of the President of India, at a swearing-in ceremony in the central hall of Parliament, in New Delhi on July 25, 2017.

नयी दिल्ली : देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में राम नाथ कोविंद ने मंगलवार को अपना पदभार संभालने के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है और यही विविधता हमारा वह आधार है जो हमें अद्वितीय बनाता है। कोविंद ने कहा, ‘इस देश में हमें राज्यों और क्षेत्रों, पंथों, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन शैलियों जैसी कई बातों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है। हम बहुत अलग हैं, लेकिन फिर भी एक हैं।’

उन्होंने कहा कि देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है। विविधता ही हमारा वह आधार है जो हमें अद्वितीय बनाता है। नए राष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं सदी का भारत, ऐसा भारत होगा जो हमारे पुरातन मूल्यों के अनुरूप होने के साथ ही साथ चौथी औद्योगिक क्रांति को भी विस्तार देगा। इसमें ना कोई विरोधाभास है और ना ही किसी तरह के विकल्प का प्रश्न उठता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी परंपरा और प्रौद्योगिकी, प्राचीन भारत के ज्ञान और समकालीन भारत के विज्ञान को साथ लेकर चलना है।

कोविंद ने कहा कि एक तरफ जहां ग्राम पंचायत पर सामुदायिक भावना से विचार विमर्श करके समस्याओं का निस्तारण होगा, वहीं दूसरी ओर डिजिटल राष्ट्र हमें विकास की नई उंचाइयों पर पहुंचाने में सहायता करेगा। ये हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निमार्ण अकेले सरकारों द्वारा नहीं किया जा सकता। सरकार सहायक हो सकती है, वो राष्ट्र की उद्यमी और रचनात्मक प्रवत्तियों को दिशा दिखा सकती है, प्रेरक बन सकती है।

The Prime Minister, Shri Narendra Modi at the swearing-in ceremony of the President, Shri Ram Nath Kovind, at central hall of Parliament, in New Delhi on July 25, 2017.

राष्ट्र निर्माण का आधार है ‘राष्ट्रीय गौरव’

उन्होंने कहा कि राष्ट्र निमार्ण का आधार है ‘राष्ट्रीय गौरव’। हमें गर्व है भारत की मिट्टी और पानी पर, हमें गर्व है भारत की विविधता और समग्रता पर, हमें गर्व है भारत की संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म पर, हमें गर्व है देश के प्रत्येक नागरिक पर, हमें गर्व है अपने कर्तव्यों के निर्वहन पर और हमें गर्व है हर छोटे से छोटे काम पर, जो हम प्रतिदिन करते हैं।’

अपने अब तक के जीवन सफर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मैं एक छोटे से गांव की मिट्टी में पला—बढ़ा हूं। मेरी यात्रा बहुत लंबी रही है, लेकिन ये यात्रा अकेले सिर्फ मेरी नहीं रही है। हमारे देश और हमारे समाज की भी यही गाथा रही है। हर चुनौती के बावजूद, हमारे देश में, संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखितन्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल मंत्र का पालन किया जाता है और मैं इस मूल मंत्र का सदैव पालन करता रहूंगा।’

कोविंद ने कहा, ‘मैं इस महान राष्ट्र के 125 करोड़ नागरिकों को नमन करता हूं और उन्होंने मुझ पर जो विश्वास जताया है, उस पर खरा उतरने का मैं वचन देता हूं। मुझे इस बात का पूरा एहसास है कि मैं डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम और मेरे पूर्ववर्ती प्रणब मुखर्जी, जिन्हें हम स्नेह से ‘प्रणब दा’ कहते हैं, जैसी विभूतियों के पदचिह्नों पर चलने जा रहा हूं।’

कोविंद ने गांधी, पटेल और अंबेडकर को किया याद
उन्होंने कहा, ‘हमारी स्वतंत्रता, महात्मा गांधी के नेतृत्व में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों का परिणाम थी। बाद में, सरदार पटेल ने हमारे देश का एकीकरण किया। हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने हम सभी में मानवीय गरिमा और गणतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने का काम किया। वे इस बात से संतुष्ट नहीं थे कि केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही काफी है। उनके लिए, हमारे करोड़ों लोगों की आथर्कि और सामाजिक स्वतंत्रता के लक्ष्य को पाना भी बहुत महत्त्वपूर्ण था।’

उन्होंने कहा, ‘अब स्वतंत्रता मिले 70 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। हम 21वीं सदी के दूसरे दशक में हैं, वो सदी, जिसके बारे में हम सभी को भरोसा है कि ये भारत की सदी होगी, भारत की उपलब्धियां ही इस सदी की दिशा और स्वरूप तय करेंगी। हमें एक ऐसे भारत का निमार्ण करना है जो आथर्कि नेतृत्व देने के साथ ही नैतिक आदर्श भी प्रस्तुत करे। हमारे लिए ये दोनों मापदंड कभी अलग नहीं हो सकते। ये दोनों जुड़े हुए हैं और इन्हें हमेशा जुड़े ही रहना होगा।’

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