कलियर उर्स शामिल होने पहुंचे 148 पाकिस्तानी नागरिक
रुड़की : रुड़की से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिरान कलियर का विश्वविख्यात धार्मिक स्थल है। कलियर विभिन्न धर्म के लोगों में आस्था का प्रतीक है। यहां पर सभी धर्मों के लोग अपनी-अपनी मुरादें लेकर आते हैं। कहते हैं कि यहां हर किसी की मुरादें पूरी होती है। इस धर्मनगरी में मुख्य साबिर पाक मजार के साथ ही चार अन्य शख्सियतों की भी मजारें हैं। इन पर जाकर लोगों को रुहानी फैज का इल्म होता है। इन्हें लोग बड़े ऐहतराम के साथ तवज्जो देते हैं।
साबिर साहब:
जिनको हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर कलियरी भी कहा जाता है कलियर में इनकी दरगाह को प्रमुखता दी जाती है और आने वाले जायरीन सबसे पहले इनकी जियारत करते हैं। चादर और प्रसाद चढ़ाकर मन्नतें मांगते हैं। साबिर साहब के बारे में प्रचलित है कि आप ने बारह साल तक मात्र गुल्लर खाकर अपना जीवन यापन किया और गरीब लोगों की सेवा की। खुद भूखे रहे और लोगों को लंगर खिलाया जिस वजह से इनका नाम साबिर पड़ा।
इमाम साहब:
इन्हें हजरत इमाम अबू सालेह रहमतुल्लाह अलैहि कहा जाता है जो कि रिश्ते में साबिर साहब के मामू भी लगते थे। इनके बारे में कहा जाता है कि आप उसूलों के पक्के और कौम के खिदमतगार थे। उनके दर्जनों ऐसे वाकये हैं जिन्हें आज भी लोग याद करते हैं। पिरान कलियर में जियारत के लिए आने वाले लोग साबिर साहब कि दरगाह पर जियारत करने के साथ-साथ इमाम साहब कि जियारत भी करते हैं।
किलकिली शाह:
हजरत किलकिली साहब रहमतुल्लाह अलैहि के नाम से जानी जाने वाली ये शख्सियत भी अपने आप में अपना अलग ही रुतबा रखते हैं। जिनके बारे में कहा जाता है कि जब वहां के राजा ने इंसानियत को शर्मशार कर डाला तो उन्होंने गुस्से में एक ऐसी चीख मारी कि सारा इलाका ही थर्रा उठा और उन्हें लोग किलकिली शाह के नाम से पुकारने लगे। जियारत क लिए यहां पहुंचने वाले लोग किलकिली शाह कि जियारत जरूर करते हैं।
गायब साहब:
हजरत पीर गायब अली साहब के नाम से जाने जाने वाले संत की मजार पर लोग अपने चेहरे या किसी और जगह पर निकल आए मस्सो से निजात पाने के लिए नमक और झाड़ू चढ़ा कर अपने लिए दुआ मांगते हैं। यहां आने वाले लोगों के अनुसार इस प्रक्रिया के बाद उन्हें अपनी परेशानी से निजात मिल जाती है।
अबदाल साहब:
हजरत अबदाल साहब रहमतुल्लाह अलैहि के मजार पर लोग अपनी परेशानियों की एक लिस्ट बनाकर वहां छोड़कर आ जाते हैं। कहते हैं कि कुछ दिनों में उनकी परेशानी दूर हो जाती है। अपनी तमाम परेशानियों के चलते यहां आने वाले जायरीन अब्दल साहब कि दरगाह पर जियारत के लिए जरूर जाते हैं।
पाक से जायरीनों ने कहा कि वे दोनों मुल्क में चाहते हैं शांति
भारत व पकिस्तान के बीच सीमा पर भले ही शांति नहीं हुई है लेकिन सांस्कृतिक व धार्मिक रूप से पाक व भारत का रिश्ता आज भी आज़ादी से पहले वाला आयाम है। यही कारण है कि कलियर उर्स में शामिल होने के लिए 148 पाकिस्तानी जायरीनों का जत्था लाहौरी एक्सप्रेस से शुक्रवार को रुड़की रेलवे स्टेशन पहुंचा। स्टेशन पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए। रोडवेज की सात बसों से इन जायरीनों को कलियर रवाना किया गया। मेला अधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि पाकिस्तानी डेलिगेशन के डिप्टी लीडर शहबाज अहमद साबरी है। जबकि पाकिस्तान सरकार के धार्मिक विभाग के चार अधिकारी आबिद नवाज, सईद अहमद तस्लीम, जाहिद महमूद व कुरबनुद्दीन शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी दूतावास दिल्ली से सज्जाद अहमद प्रोटोकोल अधिकारी के तौर पर जायरीन के साथ वापसी तक रहेंगे।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी दूतावास दिल्ली से सज्जाद अहमद प्रोटोकोल अधिकारी के तौर पर जायरीन के साथ वापसी तक रहेंगे। कलियर जियारत को आये पाक जायरीनों ने कहा, दोनों मुल्कों में अमन चैन कायम हो। भाईचारा परवान चढ़े। दोनों मुल्कों में आने जाने में रुकावट न हो। लाहौर के नूर उल हसन ने बतौर टीम लीडर बताया क़ि सर्जिकल स्ट्राइक हुआ या नहीं ये तो पता नहीं। लेकिन साबिर पाक की जियारत रूह का सफर है। सीमा पर तनाव दिल्ली से करने वाला सवाल है। तालुक में गिरह नहीं लगना चाहिए। दोनों मुल्कों के बीच खेल होने चाहिए। हैदराबाद के मोहम्मद इदरीश और अल्लाउदीन अली ने कहा दोनों मुल्कों को प्यार मोहब्बत से रहना चाहिए। जियारत करने आये है, सियासी बात नहीं होनी चाहिए।