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पांच वर्षों में वार्षिक वैश्विक तापमान कम से कम एक डिग्री सेल्सियस बढ़ने की आशंका

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की नई रिपोर्ट के अनुसार, अब से वर्ष 2024 के बीच किसी एक वर्ष में, तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के नए आंकड़ों के अनुसार आने वाले पांच वर्षों में वार्षिक वैश्विक तापमान,पूर्व औद्योगिक स्तर की तुलना में कम से कम 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ने की आशंका है, जिससे वैश्विक जलवायु परिवर्तन के लक्ष्य खटाई में पड़ सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र समाचार  के अनुसार, यूएन एजेंसी की जिनीवा में हाल ही में जारी नई रिपोर्ट – Global Annual to Decadal Climate Update में ये पूर्वानुमान लगाया गया है कि अब से लेकर वर्ष 2024 के बीच किसी एक वर्ष के दौरान, तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ सकता है।
1850-1900 तक मानी जाने वाली पूर्व-औद्योगिक अवधि की तुलना में पृथ्वी का औसत तापमान पहले से ही 1 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ चुका है, वहीं पिछले पाँच साल सबसे गर्म रहे हैं।
डब्ल्यूएमओ के महासचिव, पैट्टेरी तालस ने कहा “उच्च स्तर के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को पूरा करने और वैश्विक तापमान को इस सदी के पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस नीचे रखने के प्रयासों को आगे बढ़ाने और 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के रास्ते में भारी चुनौती है।
इस नए अध्ययन में प्राकृतिक बदलाव और जलवायु पर मानव प्रभाव को ध्यान में रखा गया है, लेकिन कोरोनोवायरस महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वायु में हुए परिवर्तनों को इससे बाहर रखा गया है।
मौसम संगठन ने बताया कि महामारी के कारण औद्योगिक व आर्थिक गतिविधियों में हुई मन्दी, निरन्तर और समन्वित जलवायु कार्रवाई का विकल्प नहीं है।
पैट्टेरी तालस ने बताया, “वायुमण्डल में कार्बनडाइ ऑक्साइड बहुत लम्बे समय तक रहती है, इसीलिये इस वर्ष उत्सर्जन में हुई गिरावट के कारण वायुमण्डलीय कार्बनडाइ ऑक्साइड सान्द्रता में कमी होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है, जो वैश्विक तापमान में वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार होती है। “
उन्होंने कहा, “चूँकि कोविड-19 की वजह से एक गम्भीर अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य और आर्थिक संकट पैदा हो गया है, जलवायु परिवर्तन से निपटने में विफलता – सदियों के लिए मानव कल्याण, पारिस्थितिकी तन्त्र और अर्थव्यवस्थाओं के लिए ख़तरा बन सकती है।”
“सरकारों को इस अवसर का उपयोग करते हुए जलवायु कार्रवाई को पुनर्बहाली कार्यक्रमों में शामिल करना चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो कि हम भविष्य में संकट से बेहतर तरीक़े से उबरें।”
इस ग्लोबल एनुअल डेकैडल क्लाइमेट अपडेट का नेतृत्व ब्रिटेन का मौसम कार्यालय करता है। ये अध्ययन, अन्तरराष्ट्रीय स्तर के जलवायु वैज्ञानिकों और दुनियाभर के अग्रणी जलवायु केन्द्रों के सर्वश्रेष्ठ कंप्यूटर मॉडल की मदद से किया गया है। 
मौसम संगठन के मुतबिक किसी एक स्रोत से प्राप्त नतीजों के मुक़ाबले दुनियाभर के कई पूर्वानुमानों को मिलाकर हासिल किये गये निष्कर्ष ज़्यादा भरोसे के लायक होते हैं। 

devbhoomimedia

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