वास्तव में घटना घटती तो आलम क्या होता !
चमोली जिले के हैलंग में रहा भूकंप का केन्द्र बिन्दु !
देहरादून । राज्य में सम्भावित प्राकृतिक आपदा यथा भूकम्प, लैंड स्लाइड एवं अन्य आपदा से निपटने हेतु आपदा प्रबन्धन विभाग द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण एन.डी.एम.ए, भारत सरकार के सहयोग से राज्य में माॅक एक्सरसाईज की आधी-अधूरी तैयारियां दून में देखी गई। सुबह 10 बजकर दो मिनट पर राज्य में भूकंप आने की सूचना दी गई लेकिन जो भी टीमें यहां परेड ग्राउंड पहंुची वह आधी-अधूरी तैयारियों के साथ पहंुची। वहीं लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पडा। वहीं घंटों से हैलीकाप्टर की लैंडिग के लिए विभागीय अधिकारी परेड ग्राउंड में जमें रहे लेकिन हैलीकाप्टर वहां पर लैंड नहीं कर पाया। वहीं दूसरी ओर लोग हैरत में थे कि आखिर यह क्या हो रहा है और जानने के लिए परेड ग्राउंड के आसपास बडी भीड़ जमा हो गई।
यहां परेड ग्राउंड में विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी पहंुचे और वहां पर भूकंप की सूचना पर स्टेट स्टेजिन एरिया बनाया गया और वहां पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन, एसपी सिटी अजय सिंह, एसपी ट्रैफिक धीरेन्द्र गुंज्याल, कुसुम चौहान सहित अन्य अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई। निर्धारित समय से तीन घंटे बाद हैलीकाप्टर परेड ग्राउंड में लैंड नहीं कर और इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह किस प्रकार की तैयारी थी, यह तो माॅक अभ्यास था और यदि वास्तव में ऐसी घटना घटती तो आलम क्या होता। इस अवसर पर अधिकारियों में सामंजस्य की कमी दिखाई दी। वहीं दून में चिन्हित पांच स्थानों पर बचाव व राहत दल को भेजा गया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी रविरमन ने कहा कि आपदा से सर्वप्रथम कनैक्टीविटी तथा प्रभावित होती है, आपदा चाहे भूकम्प हो, लैंड स्लाईड, बादल पफटने की घटना हो उनमें कनैक्टीविटी प्रभावित हो गई जिसमें मुख्य रूप टेलीपफोन लाईन, सड़के प्रमुख हैं। उनका कहना है कि मंदिर व मस्जिदों में लगे सायरन का भी भूकंप व अन्य आपदा में उपयोग कर सकते है। उनका कहना है कि वर्तमान में कलेक्ट्रेट में वायरलैस सेट है और तहसील एवं दून चिकित्सालय में भी वायरलैस सेट स्थापित किये जाने की आवश्कता है। उनका कहना है कि सुबह 10 बजकर दो मिनट में प्रदेश में भूकंप आने की सूचना उन्हें 10 बजकर छह मिनट पर मिली और वह 18 मिनट में तैयार हो गये और 26 मिनट में ही जिला नियंत्रण कक्ष पहंुचकर भूंकप की जानकारी ली और पाया गया है कि इस बार स्वास्थ्य विभाग का बेहतर काम रहा है।
उनका कहना है कि भूकंप का केन्द्र बिन्दु चमोली जिले के हैलंग में था, भूकंप आने से मोबाइल फोन की कनेक्विटी स्वयं ही बंद हो जाती है और इसके लिए वायरलैस सेटों को भी अध्कि संख्या में लिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि दून में भी पांच स्थान चिन्हित किये गये जिनमें राजकीय बालिका इंटर कालेज राजपुर रोड, व्रफास रोड माल, विकास भवन, भागीरथी अपार्टमेंट व दून चिकित्सालय शामिल है जहां पर बचाव की टीमों को भेजा गया और वहां से घायलों को दून चिकित्सालय भेजा गया, लेकिन इस कार्य में पिफर भी समन्वय की कमी पाई गई। अध्किारियों को अपने सीमित संसाध्न से रेस्क्यू के साथ सड़कें भी खोलनी होगी जिससे बाहर से आने वाली रेसक्यू टीम घटना स्थल पर पहुंचना और लोगों को बचाना आवश्यक है।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन हरबीर सिंह ने कहा कि अधिकतर प्राकृतिक आपदा के दौरान देखा गया है कि मौसम खराब रहता है, जिससे रेसक्यू आपरेशन हेतु बाहर से आने वाली फोर्स व टीमों को पंहुचनें में विलम्ब हो जाता है, ऐसी स्थिति में अपने संसाधनों से ही आपदा प्रबन्धक कार्य करना होता है तथा किसी भी आपदा में रेसक्यू होती शुरूआती दो घण्टे गोल्डन आवर होते जिसमें रेसक्यू किये जाने पर अधिक जाने बचाई जा सकती है। आपदा की स्थिति आने पर सम्बन्धि त अध्किारियों से सम्पर्क कर रेसक्यू चलाया जा सके। इस अवसर पर जिलाधिकारी देहरादून रविनाथ रमन, अपर जिलाध्किारी देहरादून हरबीर सिंह, एसपी सिटी अजय सिंह, एसपी ट्रैपिफक ध्ीरेन्द्र गुंज्याल, सेना, आईटीबीपी, एनडीआरई, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिविल डिपफेंस, ऊर्जा निगम, शहरी विकास विभाग, माध्यमिक शिक्षा प्राथमिक शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, पेयजल निगम, खाद्य आपूर्ति, अग्निशमन, नगर निगम के अधिकारी मौजूद रहे।