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युवा कल्याण विभाग ने खेल मैदानों में ही कर डाला ”खेल”

उत्तराखण्ड में 1 करोड़ 20 लाख के मैदान जमीन से हुए गायब

देहरादून: उत्तराखण्ड में एक के बाद एक घोटालों से पर्दा उठना शुरू हो चुका है, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत  ने जब से सूबे की सत्ता संभाली है राज्य में हर घोटाले को लेकर जांच कराई जा रही है, इस बार जिला युवा कल्याण विभाग में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। वैसे तो जिला युवा कल्याण विभाग में इससे पहले भी हुए घोटालों को लेकर ख़बरें आ चुकी हैं लेकिन इस बार ये पूरा खेल एक करोड़ 20 लाख से ऊपर का है। हालांकि, ये मामला साल 2014 में सामने आ गया था लेकिन तब से अबतक केवल टालमटोल की गई। अब नए जिलाधिकारी के संज्ञान में ये मामला आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की उम्मीद जगी है।

दरअसल, यह मामला साल 2014 में खुला था। जिला युवा कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2008-09 से 2011-12 तक पाइका के अंतर्गत बागेश्वर के दोनों विधानसभा बागेश्वर और कपकोट में 120 खेल मैदानों का निर्माण कराया जाना था। जिसमें एक खेल मैदान के निर्माण कार्य के लिए एक लाख रुपये स्वीकृत किया गया था। लेकिन आरटीआई कार्यकर्ता दीपक जोशी द्वारा लगाया गई आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के बाद एसडीएम की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 120 खेल मैदानों में 61 खेल मैदानों की भौतिक जांच की गई है, जिसमें करीब 15 से 20 खेल मैदान बने ही नहीं हैं और जो खेल मेदान रिपोर्ट में दर्शाए गए हैं वो नदी किनारे, प्राथमिक विद्यालय के मैदानों पर बने हुए दिखाये गए हैं।

DM कार्यालय को SDM ने सौंपी रिपोर्ट

रिपोर्ट में इस बात का साफ उल्लेख है कि कुछ मैदान तत्कालीन प्रधान द्वारा अपने मकान के पीछे ही कुछ भूमि को समतल कर दर्शाया दिये गये हैं। एसडीएम की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि उनके द्वारा 61 खेल मैदानों का भौतिक सत्यापन किया है जिसमें से 25-30 मैदान कहीं भी नहीं मिले, जो मैदान बने भी हैं उनमें न चारदीवारी है, न समतलीकरण हुआ है काफी गड़बड़ियां हैं। शेष 59 खेल मैदान का कोई अता-पता ही नहीं है। जबकि युवा कल्याण विभाग ने आरटीआई में ये जवाब दिया है कि उनके द्वारा 120 खेल मैदान बना दिए गए हैं।

प्रमाण पत्र तक दे दिया निर्माण कार्य पूरा होने का

वहीं, इस घोटाले में सबसे बड़ी बात ये सामने आई है कि 1 करोड़ 20 लाख रुपये को बिना माप पुस्तिका के बनाए ही निकाल दिया गया। ना ही इन खेल मैदानों का ऑडिट किया गया है और आरटीआई में मांगी गई माप पुस्तिका के बदले खेल मैदानों का एस्टीमेट दे दिया गया। आरटीआई में जिस अधिशासी अभियंता द्वारा माप पुस्तिका बनाये जाने का नाम दिया गया है। उनका लिखित तौर पर कहा गया है कि इन खेल मैदानों का मापन उनके द्वारा नहीं किया गया है और ना ही विभाग द्वारा उन्हें कोई माप पुस्तिका उपलब्ध करायी गयी है।

जिलाधिकारी मंगेश घिडिल्याल ने  संज्ञान 

अब जिला युवा कल्याण विभाग का घोटाला जिलाधिकारी मंगेश घिडिल्याल के संज्ञान में आते ही जिलाधिकारी ने कहा कि इस मामले में जांच पहले ही हो चुकी है। वास्तव में अगर इस मामले में गड़बड़ी पायी गयी है और सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है तो जो भी उस समय के दोषी होंगे उनके खिलाफ 15 दिन के भीतर आगे की कार्रवाई की जाएगी। गौर हो कि जिला युवा कल्याण विभाग में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के समय हुआ ये इकलौता घोटाला नहीं है बल्कि इससे पहले पीआरडी जवानों के नाम से ऐसे लोगों के लिए वेतन निकाले जाने का मामला सामने आया था जो बागेश्वर दफ्तर तो क्या पूरे जनपद में ही नहीं थे।

devbhoomimedia

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