लापता माने जा रहे कुछ लोग प्रशासन के पास आकर अपनी मौजूदगी भी दर्ज करवा रहे है, अभी तक ऐसे पांच लोगों ने दर्ज करवाई है अपनी मौजूदगी
देवभूमि मीडिया ब्यूरो
तपोवन (जोशीमठ) : रविवार को उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद बरसी आफत को 48 घंटे बीत चुके हैं लेकिन अब भी 197 लोगों का कोई सुराग नहीं मिला है। एसडीआरएफ ने यह भी बताया कि जिन लोगों को लापता माना जा रहा है उनमें से कुछ लोग प्रशासन के पास आकर अपनी मौजूदगी भी दर्ज करवा रहे हैं। अभी तक 5 लोगों ने अपनी मौजूदगी दर्ज की है। अभी भी 35 लोगों के सुरंग में फंसे होने की आशंका है।
इस बीच तपोवन सुरंग के अंदर भी रेस्क्यू ऑपरेशन रात भर चलता रहा। यहां भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की टीम जिंदगी की तलाश में रात भर मलबा निकालती रही। आईटीबी की आठवीं बटालियन के जवानों ने जुगाजु और जुवानगर गांवों में राशन और जरूरी सामान पहुंचाए। धौलीगंगा में बाढ़ की वजह से ये गांव बाकी राज्य से कट चुके हैं।
सोमवार को भी पूरे दिन बचाव कार्य चलता रहा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में बचाव और राहत कार्य के लिए एसडीआरएफ से 20 करोड़ रुपये का फंड जारी करने को कहा।
बता दें कि चमोली जिले के तपोवन-रैनी इलाके में रविवार को ग्लेशियर टूटने से धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों में बाढ़ आ गई। इससे आसपास के घर बर्बाद हो गए और साथ में ही ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट भी पूरी तरह तबाह हो गया।
वहीं उत्तराखंड में ऋषिगंगा में आई बाढ़ से लापता हुए लोगों की संख्या बढ़कर 202 तक हो गई है। इन लापता लोगों में से जिला प्रशासन ने 95 नामों की सूची जारी कर दी है। राहत और बचाव कार्य के दौरान चमोली जिला पुलिस ने अब तक 26 शव मिलने की पुष्टि की है।
वहीं, सोमवार को रैणी और तपोवन प्रभावित क्षेत्र में पूरे दिन वीआईपी मूवमेंट होता रहा। आलम यह था कि सुबह से ही प्रशासन वीआईपी की आगवानी और उनको ब्रीफ करने में जुटा रहा। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद तीरथ सिंह रावत, जिला प्रभारी मंत्री डा. धन सिंह रावत, विधायक महेंद्र भट्ट, विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी और शाम को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। इसके अलावा कुछ अधिकारी भी मौके पर पहुंचे हैं। सभी ने प्रभावितों से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया।
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