लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद चर्चाएँ शुरू
मदन कौशिक,अजय भट्ट और अजय टम्टा किस पर खेलेंगे दांव!
भाजपा नेता सुनील बंसल और कैलाश विजयवर्गीय से खा चुके हैं पटखनी
राजेन्द्र जोशी
देहरादून : भाजपा के अंदरूनी हालात पुनः सुसुप्त ज्वालामुखी के समान हो चले हैं क्योंकि अब पुराने तीसमारखाओं की दृष्टि अध्यक्ष पद पर आकर रुक गई है। प्रमुख नेताओं के अब राजनीतिक परिदृश्य से विलुप्त होने के बाद सबसे अधिक खुशी किसी को हुई है तो वो किसी उत्तराखंड के नेता को नहीं बल्कि उत्तराखंड के बाहर के एक प्रमुख नेता को हुई है जो विगत कई वर्षों से उत्तराखंड भाजपा को अपनी उंगलियों में नचाता आया है।
चर्चा यहां इस बात की भी है कि केंद्र में प्रमुख जिम्मेदारी मिलने के बाद भी इस नेता ने उत्तराखंड भाजपा को अपनी पकड़ से बाहर नहीं जाने दिया, वो नेता और कोई नहीं बल्कि अपने राजनीतिक चातुर्य और परिश्रम के लिए प्रसिद्ध भाजपा के सह महामंत्री संगठन शिवप्रकाश हैं।
इनके बारे में भाजपा में अंदरुनी तौर पर कहा जाता है कि शिव के प्रताप से कई उत्तराखंड के नेता फर्श से अर्श पर पहुंच गए और शिव के क्रोध से अर्श से फर्श तक पहुंच चुके हैं। शोले के गब्बर की तरह शिवप्रकाश के लिए कहा जाता है कि शिवप्रकाश के क्रोध से कोई तुम्हें बचा सकता है तो वो खुद शिवप्रकाश ही बचा सकता है।
उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल में क्रमशः सुनील बंसल और कैलाश विजयवर्गीय से निपटने में नाकाम रहे इस चतुर परन्तु समय की मार से घायल शिव प्रकाश ने अब अपने अंतिम गढ़ को बचाने के लिए कमर कस ली है और अब किसी भी हालत में उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष पद पर अपने समर्थक नेताओं में से किसी की ताजपोशी करने का मन बनाने के साथ साथ शतरंज की बिसात पर अपने तीन मनपसंदीदा नेताओं मदन कौशिक, अजय भट्ट और अजय टम्टा रूपी मोहरों के रूप में गोटियां बिछाने का कार्य भी शुरू कर दिया है।
चूंकि वर्तमान में मदन कौशिक जहां प्रदेश सरकार में मंत्री हैं और मैदान से भी आते हैं,अतः उनका अध्यक्ष बनना मुमकिन नहीं लगता। अतः बचे हुए अन्य दो नेताओं पर नजर आकर जरुर रुकती है। मजे की बात ये है कि ये दो प्रमुख समर्थक नेता जो सदा शिव भक्ति में तल्लीन रहते हैं दोनों का एक ही नाम है, और दोनों सामाजिक और क्षेत्रीय तौर पर भी अध्यक्ष पद के लिए प्रबल दावेदार साबित हो सकते हैं।
चर्चाएँ आम हैं कि इस बार शिव का गणित है कि यदि अजय टम्टा के लिए किसी प्रकार का विरोध होता है या कोई अन्य मजबूत दावेदारी सामने आती है तो अगले कदम के रूप में पुनः अजय भट्ट को अध्यक्ष पद की गद्दी दिलवाई जाए। इसके लिए शिवप्रकाश ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है,और उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष पद को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है।
आगे -आगे देखते हैं होता है क्या,पर ये तो तय है कि उत्तराखंड के भाजपा नेताओं को सलाह है कि वे शिव के प्रकोप से बच नहीं सकते और बचना हो तो उनको शिव के आगे ही नतमस्तक होना पड़ेगा।
बाकी फिर कभी……….
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