सुप्रीम कोर्ट का मेजर आदित्य के खिलाफ FIR पर स्टे
नयी दिल्ली : शोपियां में हुई गोलीबारी की घटना में आरोपी बनाए गए सैन्य अधिकारी के पिता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मेजर आदित्य के खिलाफ हुए एफआईआर पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने केंद्र व जम्मू-कश्मीर सरकार से दो हफ्तों में जवाब मांगा है। साथ ही निर्देश दिया है कि मेजर आदित्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाए। कोर्ट ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से भी कहा कि वे केंद सरकार की और से इस मामले में पक्ष रखेंगे. गौरतलब हो कि पुलिस द्वारा सेना के मेजर आदित्य कुमार पर दर्ज की गई एफआईआर को खारिज करने की मांग करते हुए उनके पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह ने कहा है कि 10 गढ़वाल राइफल्स में मेजर उनके बेटे को एफआईआर में गलत और मनमाने ढंग से नामजद किया गया है, क्योंकि यह घटना अफस्पा वाले एक क्षेत्र में सैन्य ड्यूटी पर जा रहे सैन्य काफिले से जुड़़ी है। इस सैन्य काफिले को घेर कर भीड़ ने उस पर पथराव किया जिससे कई सैन्य वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।
लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह की अर्जी कहती है कि उनके बेटे का इरादा केवल सैन्य कर्मियों और संपत्ति को बचाना था तथा आतंकी गतिविधि पर उतरी हिंसक भीड़ से बचने के वास्ते ही गोलियां चलायी गई थी। अर्जी के अनुसर भीड़ से चले जाने और सेना के काम में बाधा नहीं डालने तथा सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाने का अनुरोध किया गया। लेकिन जब स्थिति नियंत्रण के बाहर चली गई तब चेतावनी जारी की गई। ऐसे में जब हिंसक भीड़ ने एक जूनियर कमीशन प्राप्त अधिकारी को पकड़ लिया और उसे पीट-पीट कर मार डालने पर उतर आई तो भीड़ को हटाने के लिए चेतावनी में गोलियां चलाई गई।
लेफ्टिनेंट कर्नलसिंह ने जम्मू कश्मीर की स्थित से शीर्ष अदालत को अवगत करने के लिए पिछले साल भीड़ द्वारा डीएसपी मोहम्मद अयुब पंडित की पिटाई का भी हवाला दिया। उन्होंने यह बताना चाहा कि सेना के अधिाकरी कश्मीर में हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने के लिए किस स्थिति में काम कर रहे हैं। अर्जी में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को जमीनी स्तर पर प्रतिकूल स्थिति के मद्देनजर सीधे इस अदालत में यह रिट याचिका दायर कर एफआईआर रद्द कराने की मांग करनी पड़ी। राज्य में नेता और प्रशासनिक अधिकारी एफआईआर को जिस तरह पेश कर रहे हैं वह राज्य की बिल्कुल प्रतिकूल स्थिति को परिलक्षित करता है। ऐसे में याचिकाकर्ता के पास अपने बेटे के मौलिक अधिकारों की रक्षा के वास्ते संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस अदालत में आने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता।
मेजर कुमार समेत सेना की 10 गढ़वाल यूनिट के कर्मियों पर रणबीर दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 307(हत्या के प्रयास) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है। दरअसल शोपिया के गनोवपोरा गांव में जब सैन्य कर्मियों ने पथराव कर रही भीड़ पर गोलिया चलाई थीं तब दो नागरिक मारे गए थे। उसके बाद मुख्यमंत्री ने इस घटना की जांच का आदेश दिया था।