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अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भाजपा को सियासी लाभ

अयोध्या यात्रा का उमा ने किया एलान

लखनऊ : विवादित ढांचा ध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी सहित 13 लोगों पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से यह मुद्दा फिर ज्वलंत हो गया है।
हालांकि इस फैसले से हाल-फिलहाल किसी बड़ी सियासी उथल-पुथल की संभावना नहीं है लेकिन इतना जरूर है कि इस बहाने पूरे मामले से जुड़ी घटनाएं चर्चा में रहेंगी और एजेंडे को धार भी मिलेगी।

भले ही अभी कोई स्वीकार न करे लेकिन इतना तय है कि इस बहाने दोनों पक्ष अपने-अपने सियासी असलहों को धार देने की कोशिश जरूर करेंगे। तत्काल भले यह मामला असर न डाले लेकिन इस पर आने वाला फैसला भविष्य की सियासत पर जरूर प्रभाव डालेगा और मुद्दा भी बनेगा। सियासी लड़ाई को 80 बनाम 20 बनाने में भगवा टोली की मदद करेगा तो विरोधियों को भी अपने पक्ष के वोटों को लामबंद करने में मदद पहुंचाएगा।

जिस तरह विनय कटियार और उमा भारती तथा इस विवाद में मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने प्रतिक्रिया दी है, उससे भी यह साफ हो गया है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के मुताबिक, इस मामले में सुनवाई करने वाली अदालत क्या फैसला करेगी? वह आरोपियों को सजा देगी या उन्हें कोई राहत मिलेगी?

यह तो जब पता चलेगा जब निर्णय आएगा। पर, इतना तय है कि इस सुनवाई के बहाने भगवा टोली के आरोपी नेता जनता के बीच यह साबित करने की पुरजोर कोशिश करेंगे कि हिंदुत्व व रामकाज के लिए ही वे यह सब झेल रहे हैं। इसकी झलक मिलने भी लगी है। दूसरी ओर मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से भी मुसलमानों के बीच यही संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि वे किस तरह दीन की लड़ाई लड़ रहे हैं।

उमा भारती ने कहा है कि कोई साजिश नहीं थी। सब कुछ खुल्लमखुल्ला था। राम मंदिर अब बनकर ही रहेगा। कोई माई का लाल अब इसे नहीं रोक पाएगा। मंदिर, गंगा, राम और तिरंगा के लिए हर सजा को तैयार हूं।

कांग्रेस को इस्तीफा मांगने का हक नहीं। मैं पद से चिपकने वाली नहीं। राम के लिए इंद्रासन भी छोड़ सकती हूं। विनय कटियार ने भी ऐसी ही प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने इसे भाजपा नेताओं के खिलाफ सीबीआई की साजिश बताते हुए कहा है कि रामकाज के लिए वह बड़ी से बड़ी सजा भुगतने को तैयार हैं। जेल जाने को भी तैयार हैं। कटियार का भी कहना है कि साजिश का कोई मतलब ही नहीं है। जो कुछ हुआ, वह खुल्लमखुल्ला था। रामभक्तों की स्वाभाविक अभिव्यक्ति थी। अच्छा यही है कि जितनी जल्दी निर्णय आ जाए। जितनी जल्दी निर्णय आएगा, उसी गति से राम मंदिर का निर्माण भी होगा।

विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने भी कहा है कि न तो यह सुनियोजित था और न साजिश थी। सब कुछ समाज के सामने हुआ और समाज के ही लोगों ने किया। उधर, मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर खुशी जताई है और कहा है कि अब न्याय मिलेगा। जाहिर है, सभी की तरफ से एजेंडे को धार देने का काम शुरू हो चुका है।

उमा भारती ने तो अयोध्या यात्रा का एलान भी कर दिया है। उन्होंने बृहस्पतिवार को अयोध्या पहुंचकर श्रीराम जन्मभूमि स्थल के दर्शन करने और हनुमान गढ़ी जाकर माथा टेकने की घोषणा की है।

जिस समय सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया, उस समय विनय कटियार बस्ती में एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। उन्हें लौटना तो लखनऊ था लेकिन इस फैसले की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने अपना कार्यक्रम बदल दिया और अयोध्या पहुंच गए। वह फिलहाल अयोध्या में ही रुकेंगे।

याद रहे कि फैजाबाद से सांसद रह चुके कटियार का आवास भी अयोध्या में ही है। इससे साफ पता चलता है कि भगवा टोली ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के सहारे सूबे की सियासत में भगवा रंग को और गाढ़ा करने की तैयारी कर ली है।

वैसे तो लोकसभा चुनाव को अभी दो साल बाकी है, पर सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में दिन-प्रतिदिन सुनवाई करके दो साल में फैसला सुनाने को भी कहा है।

जाहिर है, जिस समय इस मुद्दे पर अदालत के फैसले की स्थिति बनेगी, उस समय लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी होगी।

फैसला जो भी आए, लेकिन वह उस समय न सिर्फ सूबे की बल्कि देश की सियासत में हलचल जरूर पैदा करेगा। दोनों पक्ष इस फैसले को अपने-अपने तरीके से परिभाषित करेंगे और इसके सहारे एजेंडे को धार देने की कोशिश करेंगे।

वरिष्ठ पत्रकार और इस मामले को करीब से देखने वाले रामबहादुर राय भी कहते हैं कि इस मामले का हाल-फिलहाल तो कोई बड़ा असर नहीं दिखाई देता, पर भविष्य में आने वाले फैसले के राजनीतिक फलालाभ से इन्कार भी नहीं किया जा सकता। इस मामले के आरोपियों में सिर्फ दो ही लोग किसी पद पर हैं।

एक हैं राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, जिन पर सर्वोच्च न्यायालय ने संवैधानिक पद पर होने के कारण फिलहाल मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी है। दूसरी हैं उमा भारती, जिन्हें इस मामले में चार्जशीट आने के बाद पद छोड़ना पड़ सकता है। इसके अलावा कोई ऐसे पद पर नहीं है जिसके सामने इस मामले की सुनवाई के बाद पद छोड़ने जैसी स्थिति खड़ी हो।

जाहिर है कि इस मामले पर तुरंत किसी बड़ी सियासी हलचल की स्थिति नहीं दिखाई दे रही है। फिर अयोध्या के सहारे भाजपा को जितना प्राप्त हो सकता था, वह हासिल हो चुका है। बावजूद इसके इतना तो है ही कि ताजा घटनाक्रम के चलते यह मामला अब रोजाना चर्चा में जरूर रहेगा।

आरोपी भाजपा नेता यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि वे हिंदुत्व के लिए कितनी कीमत चुका रहे हैं। दूसरे पक्ष की ओर से भी इसी तरह की कोशिश से इन्कार नहीं किया जा सकता।

devbhoomimedia

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