सीमावर्ती पर्वतीय क्षेत्रों के लिए बने विशेष योजना : निशंक
नई दिल्ली: सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति, सांसद हरिद्वार एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड डॉ. रमेश पोखरियाल ’निशंक’ ने देश के सीमावर्ती, पर्वतीय, दुर्गम, ग्रामीण, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष योजनाओं के सृजन और क्रियान्वयन पर जोर देते हुए मांग करते हुए डॉ. निशंक ने पंचायती राज मंत्रालय द्वारा योजनाओं हेतु मानदंडों को संशोधित करने के विषय में प्रश्न पूछा।
डॉ0 निशंक ने यह भी पूछा कि सरकार द्वारा पिछडे, पर्वतीय, ग्रामीण एवं दुर्गम क्षेत्रों के लिए क्या विशेष योजनाएं बनायी गयी है। डॉ. निशंक ने उत्तराखंड सहित अन्य हिमालयी क्षेत्रों के राज्यों में योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता जताते हुए पूछा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगते गांवों के विकास हेतु सरकार के द्वारा क्या विशेष कदम उठाए गए हैं ।
अपने उत्तर में ग्रामीण विकास मंत्री ने डॉ. निशंक को बताया कि उनका विभाग योजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन एवं निगरानी के लिए विशेष कदम उठा रहा है जिसके लिए क्षमता निर्माण सहित सशक्तीकरण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं । मंत्री ने आगे डॉ0 निशंक को बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों को समस्त सुविधाओं से संतृप्त किया जा रहा है । मंत्री ने डॉ. निशंक को बताया कि पंचायती राज मंत्रालय दो प्रमुख योजनाओं नामतः राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान ( आरजीपीएसए) और पिछडा क्षेत्र अनुदान निधि (बीआरजीएफ) के जिला घटकों का क्रियान्वयन कर रहा है।
मंत्री ने बताया कि वर्ष 2015-16 केन्द्रीय क्षेत्र योजना के तौर पर क्रियान्वित की गयी हैं । आगे मंत्री ने बताया कि वर्ष 2015-16 के दौरान पंचायतों के क्षमता निर्माण के लिए निधियां, क्षमता निर्माण पंचायत सशक्तिकरण अभियान के बजटीय प्रावधान में से प्रदान की गयी हैं। मंत्री ने डॉ0 निशंक को यह अवगत कराया कि उनके मंत्रालय की योजनाओं के क्रियान्वयन और आरजीएसए की पुनर्गठित योजना की शुरूआत के प्रस्ताव की समीक्षा करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।