Uttarakhand

अपर मुख्य सचिव ने किया मुख्यमंत्री सहित वन मंत्री तक को किया गुमराह !

  • मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने लिया डॉ. हरक प्रकरण का संज्ञान
  • इस तरह के प्रकरण को भविष्य में न दोहराये जाने की दी नसीहत 

वन मंत्री हरक सिंह रावत द्वारा लगाए गए आरोपों पर अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश का जवाब एक बार फिर मुख्यमंत्री सहित वन मंत्री तक को गुमराह करने का प्रयास करने वाला लगता है कि लालढांग -चिल्लरखाल रोड पर रोक लोक निर्माण विभाग ने नहीं बल्कि वन विभाग ने लगाई है। जबकि लोक निर्माण विभाग के अधिकारी दबी जुबान से अपर मुख्यसचिव और प्रमुख सचिव लोकनिर्माण विभाग के मौखिक आदेशों का हवाला देकर कार्य बंद करने की बात कह रहे हैं।इतना ही नहीं अपर मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की इस महत्वाकांक्षी सड़क को वन विभाग और लोक निर्माण विभाग के आपसी द्वन्द में फंसा दिया है और वनमंत्री को मोहरा बना डाला है।

  • वन मंत्री के तल्ख़ तेवरों पर सक्रिय हुई सरकार 
  • शासन ने की सड़क निर्माण कार्य को लेकर जांच समिति गठित

देहरादून: वहीं वन मंत्री हरक सिंह रावत के तल्ख तेवरों के बाद अब राज्य सरकार भी उनके द्वारा उठाये गए मामलों को लेकर सक्रिय हो गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्मिक विभाग द्वारा बिना विभागीय मंत्री की संस्तुति के अधिकारियों को विदेश भेजने के प्रकरण का संज्ञान लिया है। उन्होंने इस संबंध में अधिकारियों से वार्ता करते हुए इस तरह के प्रकरणों को भविष्य में न दोहराये जाने की नसीहत दी है।

सूत्रों के मुताबिक बीते वर्ष भी मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को विदेश भेजने के एक प्रकरण पर अनुमति देने से पहले विभागीय मंत्री की संस्तुति लेने के निर्देश बकायदा फाइल पर नोट कर दिए थे। यह मामला भी वन विभाग से ही संबंधित था। उनका कहना था कि ऐसे में इसे नजीर मान लेना चाहिए था। बावजूद इसके इस बार ऐसा नहीं हुआ। दरअसल, अधिकारियों को विदेश भेजने की अनुमति देने के लिए संबंधित विभाग कार्मिक विभाग को पत्रवली भेजता है। इसके बाद कार्मिक इसे मुख्य सचिव के अनुमोदन को भेजता है। वहां से यह पत्रावली विभागीय मंत्री अथवा मुख्यमंत्री को संस्तुति के लिए भेजी जाती है। इस बार भी वन विभाग से कार्मिक और फिर मुख्य सचिव तक यह फाइल पहुंची।

लालढांग-चिल्लरखाल मार्ग पर रोक के बावजूद चल रहे निर्माण कार्यो को लेकर शासन ने सख्ती दिखाई है। शासन ने इस मामले में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। इस समिति से कार्यस्थल की वीडियोग्राफी, मजदूर व अधिकारियों के बयान सहित पूरी रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने को कहा है, ताकि इनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। शासन द्वारा यह पत्र जारी करने के बाद ही वन मंत्री हरक सिंह रावत के तेवर और तल्ख हुए हैं। प्रभागीय वनाधिकारी लैंसडौन वन प्रभाग, कोटद्वार के पत्र पर शासन ने 30 अप्रैल को लालढांग-चिल्लरखाल मोटर मार्ग पर कराए जा रहे सभी कार्यो पर रोक लगा थी। हालांकि, इसके बाद भी इस मार्ग पर निर्माण कार्य चल रहा था। जिसकी वीडियोग्राफी लोकनिर्माण विभाग द्वारा करवाई जा रही थी।

वहीं वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि एनजीटी के रोक लगाने का हवाला देते हुए सड़क निर्माण रोका गया, जबकि एनजीटी ने उक्त मामले में सिर्फ रिपोर्ट मांगी है। मोटर मार्ग के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग टेंडर कर चुका है। तीन किमी सड़क पक्की हो गई है। पुलों का निर्माण कार्य चल रहा है। 4.5 करोड़ लागत से निर्माण कार्य जारी है। गरीब जनता की इस धनराशि के लिए जवाबदेही किसकी होगी।उन्होंने कहा या तो पहले इस सड़क की स्वीकृति देने वाले अधिकारी गलत थे या अब काम रोकने वाले सही है लेकिन अब यह सवाल उठता है कि जनता की गाढ़ी कमाई के 4.5 करोड़ की राशि का जिम्मेदार कौन होगा।

Related Articles

Back to top button
Translate »