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चार धाम यात्रा मार्ग पर यात्री त्रस्त और यात्रा प्रशासन मस्त …विडियो देखिये …….

  • -यात्रा मार्ग पर पेट्रोल और डीजल की भारी कमी से यात्री परेशान 

  • -मंदिर के भीतर से घसीटकर श्रद्धालुओं को खींचा जा रहा है बाहर 

  • -मित्र पुलिस के कारनामे से यात्रियों में आक्रोश 

  • -पूजा कर रहे कई तीर्थयात्रियों से पुलिस ने की मारपीट 

https://youtu.be/aGMjpkeT1XU

राजेन्द्र जोशी 

देहरादून : पांचों धाम की यात्रा आजकल जोरों पर है। देश-विदेश से उत्तराखंड के पवित्र धार्मिकस्थलों की तरफ हज़ारों यात्री बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ रुख कर रहे हैं, लेकिन यात्रा प्रशासन यानी जिला प्रशासन प्रदेश के इस धामों की यात्रा व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद रखने में फिस्सड्डी साबित हो रहा है। कहीं यात्रियों से पंडों की लूट जारी है तो कहीं पुलिस वालों ने आतंक फैला रखा है, कहीं हेलीकाप्टर वालों द्वारा उनके दलालों के मार्फ़त हैली टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग धड़ल्ले से जारी है तो कहीं घोड़े -खच्चर वालों की लूट। इतना ही नहीं यात्रा मार्ग पर इतने श्रद्धालु अपनी गाड़ियों से पहुँच चुके हैं तो उनके लिए पेट्रोल और डीजल की व्यवस्था भी चरमरा गयी है। पहाड़ों में पेट्रोल -डीजल की मारामारी मची हुई है, आज के युग में भी पेट्रोल-डीजल राशनिंग हो रहा है एक गाड़ी को 10 या 15 लीटर पेट्रोल -डीजल देकर आगे के पेट्रोल पंप की तरफ खिसकाया जा रहा है। हालात यहाँ तक आ पहुंचे हैं कि यात्री अपनी गाड़ियों में ही पेट्रोल-डीजल के इंतज़ार में रात बिताने को मज़बूर हैं। पहाड़ी मार्गों के छोटे-छोटे कस्बों में लगे पेट्रोल पंप पर चार-चार किलोमीटर की लम्बी लाइनें लगी हुई हैं। 

https://youtu.be/OMJAh685kWs

सबसे बुरा हाल केदारनाथ धाम का है जहाँ मित्र पुलिस की दादागिरी से आम तीर्थयात्री खासे परेशान हैं। आये दिन पुलिस के जवान यात्रियों के साथ बदसलूखी, मारपीट और गाली-गलौच की घटनाएं सामने आ रही है। यहां तक कि महिलाओं के साथ भी पुलिस कर्मी अभद्रता करने से पीछे नहीं है। ऐसे में देश-विदेश के श्रद्धालुओं में मित्र पुलिस की काली करतूत से आक्रोश बना हुआ है। 

बीते दिन केदारनाथ मंदिर में जल चढ़ाने गये तीर्थयात्रियों के साथ मित्र पुलिस के जवानों ने दादागिरी करते हुए उनके साथ मारपीट की। आरोप है कि पुलिस जवान मंदिर से घसीटकर श्रद्धालुओं को बाहर लाये और फिर उन पर हाथ साफ किये। यात्रियों के रोने के बाद आस-पास के तीर्थ पुरोहित आए और पूरी घटना की जानकारी ली।

केदारनाथ धाम में एक यात्री परिवार के साथ पुलिस द्वारा कथित अभद्रता की खबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गंभीरता से लेते हुए डीएम रुद्रप्रयाग को घटना की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में इस वर्ष अभी तक लाखों श्रद्धालु आ चुके हैं। कभी भी ऐसी शिकायत नहीं मिली। ऐसे में घटना की सत्यता की निष्पक्ष जांच जरूरी है।

मुख्यमंत्री के आदेश के बाद डीएम रुद्रप्रयाग मंगेश घिल्डियाल ने संयुक्त मजिस्ट्रेट और सीओ केदारनाथ को संयुक्त रूप से मामले की जांच सौंपी है। वह सीसीटीवी फुटेज देखने के साथ ही लोगों से पूछताछ करेंगे। डीएम ने स्थानीय पुलिस की ओर से दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट के हवाले से सरकार को अवगत कराया है कि छह जून को एक व्यक्ति ने वीडियो संदेश के जरिये बताया कि वह और उसका परिवार केदारनाथ दर्शन को आए थे। आरोप है कि वहां नियुक्त पुलिसकर्मियों द्वारा उनके साथ अभद्रता व मारपीट की गई।

तीर्थ पुरोहित कुलदीप बगवाड़ी, नितिन बगवाड़ी, अंकुर शुक्ला, हिमांशु तिवारी ने कहा कि केदारनाथ धाम में मित्र पुलिस का काम सिर्फ पैंसे वसूलने तक रह गया है। यात्रियों के साथ मारपीट और बदसलूखी की जा रही है और महिलाओं और बच्चों पर हाथ उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश-विदेश से आ रहे श्रद्धालुओं के साथ मारपीट की घटना को अंजाम देकर मित्र पुलिस ने अपनी सच्चाई को जाहिर किया है।

आरोप है कि केदारनाथ में पुलिस के जवान वीआईपी ड्यूटी के नाम पर पैंसे वसूल रहे हैं। यात्रियों को घसीटकर मारा जा रहा है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं में इसका बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।

वहीं पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने मामले में लीपापोती करते हुए बताया कि कुछ तीर्थयात्री मंदिर के भीतर जल चढ़ाने में समय लगा रहे थे। ऐसे में पुलिस के जवान ने उन्हें जल्दी पूजा करके बाहर आने का निवेदन किया, लेकिन एक तीर्थयात्री ने पुलिस जवान का काॅलर पकड़ लिया। पुलिस जवान की ओर से मंदिर के भीतर बढ़ती भीड़ को संभालने का कार्य किया जा रहा था, मगर कुछ यात्री अव्यवस्था फैलाने में लगे थे। ऐसे में उन्हें बाहर लाया गया तो वे पुलिस पर ही आरोप लगाने लगे। उन्होंने कहा कि किसी भी तीर्थयात्री ने पुलिस कर्मियों के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं की है। 

यही सूरते हाल बदरीनाथ धाम का है यात्रियों की भीड़ इतनी बढ़ चुकी है कि धाम में पर्याप्त संख्या में स्थापित प्रसाधन व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है।  यात्री शौच के लिए अलकनंदा के किनारे सहित देवदर्शनी से लेकर माणा गांव के पास तक जहाँ कहीं जगह  मिले वहीं शौच करने को मज़बूर हैं। इतना ही नहीं मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी संख्या हो गयी है कि यात्रियों को दो से तीन घंटे तक दर्शनों के लिए लाइन में लगना पड़ रहा है। बदरीनाथ धाम में वाहनों की इतनी संख्या पहुँच गयी है कि पार्किंग के अलावा आस-पास के सभी मैदान पार्किंग बन चुके हैं। 

यही हाल गंगोत्री और यमुनोत्री मार्ग का भी है।  गंगोत्री में मंदिर से दो किलोमीटर पहले बनाई गयी पार्किग वाहनों से फुल हो गयी है इतना ही नहीं गंगोत्री -भैरोंघाटी मार्ग भी कहीं -कहीं एक तरफ और कहीं दोनों तरफ वाहनों की पार्किंग के रूप में प्रयोग होने लगा है। यात्रियों को मंदिर तक पहुँचने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यही हाल यमुनोत्री मार्ग का भी है लेकिन यहाँ खड़ी चढ़ाई और पैदल यात्रा के भय से उतनी भीड़ तो नहीं जो बर्दास्त से बाहर हो लेकिन घोड़े -खच्चर वालों की लूट के आगे जिला प्रशासन हलकान है। 

इधर सिक्खों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब के एक जून को कपाट खुलने के बाद से ऋषिकेश से लेकर समूचे बदरीनाथ मार्ग पर दोपहिया वाहनों को तेज़ गति से चलने से स्थानीय लोग परशानी में कई बार तो सिख श्रद्धालओं के वाहनों की टक्कर से स्थानीय लोग चोटिल तक हो चुके हैं। गोविन्द घाट में वाहनों की पार्किग सीमा से बाहर जा चुकी है।  तीर्थ यात्रियों के वहां पांडुकेश्वर तक सड़क के दोनों तरफ खड़े नज़र आ रहे हैं जिसे कई बार यातायात बाधित भी हो रहा है।  

कुलमिलाकर यात्रा व्यवस्था देख रहे जिला प्रशासनों का आपसी ताल मेल कहीं भी नहीं दिखाई दे रहा है। उत्तराखंड के इस चारों धामों पर टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली जिला प्रशासन का कार्यक्षेत्र आता है।  हेमकुंड साहिब सहित चारों धामों में यात्रियों की बढ़ती संख्या और वाहनों की संख्या और धामों की सीमित व्यवस्था को देखते हुए जिला प्रशासन और यात्रा प्रशासन को चाहिए कि वह उतने ही श्रद्धालुओं को धामों की तरफ जाने की अनुमति दे जितने श्रद्धालुओं के लिए वहां पर्याप्त व्यवस्था हो।  जिस तरह अनियंत्रित तरीके से इस बार यात्रा चल रही है उससे प्रदेश की श्रद्धालुओं में अच्छी छवि नहीं जा रही है।  इसके लिए यात्रा प्रशासन को चाहिए कि वह ऋषिकेश या हरिद्वार से ही यात्रा व्यवस्था को नियंत्रित करने का प्रयास करे।  

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