Uttarakhand

रईसजादों की गिरफ्तारी के मामले में उच्च राजनीतिक दबाव !

लैंसडाउन  डीएफओ मयंक शेखर  निलंबित 

पुलिस कर्मियों पर भी गाज गिराने की तैयारी 

न्यायालय ने सभी की जमानत अर्जी  की रद्द 

देहरादून : थापर और नंदा परिवार के रईसजादों की गिरफ्तारी के मामले में उच्च राजनीतिक दबाव की बाद लैंसडाउन के डीएफओ मयंक शेखर को निलंबित कर दिया गया है जबकि रईसजादों को पकड़ने वाली पुलिस टीम को नही निलंबित करने का सरकार पर भारी दबाव है।    बात होगी कि सरकार दबाव में काम करती है या अपराधिक कृत्या करने  आरोपियों के खिलाफ कार्रवाही करने वाले पुलिस अधिकारियों  को दंडित  करेगी।  वहीं केंद्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करने के बदले एसएसपी पौड़ी मुख्तार मोहसीन को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है । आरक्षित वन क्षेत्र में वन कानूनों के उल्लंघन समेत कई धाराओं में दर्ज इस मुकदमे की जांच कालागढ़ के इंस्पेक्टर को सौंप दी गई है।

उद्योगपति समीर थापर-जयंत नंदा समेत सभी 16 लोगों की जमानत याचिका मंगलवार को भी खारिज हो गई। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) भवदीप रावते ने मामले को बेहद गंभीर बताते हुए जमानत प्रार्थनापत्र खारिज कर दिया। आरोपियों की ओर से उनके अधिवक्ता राजीव आत्माराम, रनदीप सिंह राय, राजेंद्र सिंह, मनोज गोरकेला और स्थानीय अधिवक्ता अरविंद कुमार वर्मा ने एसीजेएम कोर्ट में जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया। बचाव पक्ष की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि सभी आरोपी निर्दोष हैं और उन्हें उक्त मामलों में झूठा फंसाया गया है। आरोपियों के विरुद्ध ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जिससे उन्हें अपराधी माना जाए। ये लोग बतौर पर्यटक नए साल को सेलीब्रेट करने के लिए परिवार और दोस्तों संग गेस्ट हाउस में रुके थे।

अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी अजीत मिश्रा और नामित अधिवक्ता आशुतोष कंडवाल ने जमानत प्रार्थनापत्र का विरोध करते हुए कई दलीलें दीं। कहा कि आरोपियों द्वारा आरक्षित वन क्षेत्र में अवैधानिक रूप से लकड़ियां जलाना, अवैध रूप से हथियार और कारतूस ले जाना, बड़ी मात्रा में शराब का बरामद होना, एक व्यक्ति के नाम पर बुकिंग कर बड़ी संख्या में एकत्र होना संदेह पैदा करता है।

कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद इस मामले को बेहद गंभीर बताया। कहा कि यह मामला साधारण नागरिक का नहीं है, बल्कि समाज के ऐसे उद्योगपति वर्ग के लोगों से जुड़ा हुआ है जो फॉरेस्ट एक्ट और वाइल्ड लाइफ से जुड़े कानूनों की भली-भांति जानकारी रखते हैं।

कोर्ट ने कहा कि वर्तमान समय में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के संबंध में सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट ने वाइल्ड लाइफ और पर्यावरण के बारे में सख्त गाइड लाइन जारी की है। सलमान खान जैसे बहुचर्चित व्यक्तित्व के लोग वाइल्ड लाइफ से जुड़े मामलों में हाईलाइट हुए हैं। ऐसी परिस्थिति में इस मामले में जमानत दिए जाने का कोई आधार नहीं बनता।

इधर, निलंबित डीएफओ को फिलहाल प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड कार्यालय से संबद्ध किया गया है। इस प्रकरण में विभागीय जांच अभी चलती रहेगी। रिपोर्ट आने के बाद दोषी पाए जाने वाले अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इस मामले में प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड राजेंद्र कुमार ने चीफ कंजर्वेटर शिवालिक वृत्त भुवनचंद्र और कंजर्वेटर मीनाक्षी जोशी को जांच के लिए भेजा था। शुरुआती जांच में अधिकारियों को प्रकरण में वनाधिकारियों की ओर से चूक मिली। इस पर तत्काल प्रभाव से डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई की गई।

वहीँ अधिकारिक तौर पर मुख्य सचिव एस. रामास्वामी ने कैबिनेट बैठक की ब्रीफिंग में इस संबंध में जानकारी दी। वैसे सोमवार को ही चीफ कंजर्वेटर भुवनचंद्र समेत अन्य अधिकारियों के कोल्हूचौड़ पहुंचने के बाद शासन को जो प्रारंभिक जानकारी मिली, उसी वक्त डीएफओ के निलंबन का फैसला कर लिया गया था।

इसे मंगलवार को जारी किया गया। इस प्रकरण में अभी बारीकी से जांच की जा रही है। इस प्रकरण में वन कानूनों का उल्लंघन हुआ है। खासतौर पर वन आरक्षित क्षेत्र में कैंप फायर पाया जाना और बिना अनुमति बंदूक अंदर पहुंचना गंभीर मसला है।

इसके लिए उन्होंने बाकायदा वन विभाग से लिखित में अनुमति हासिल की थी। दिल्ली और चंडीगढ़ के वकीलों ने जमानत के लिए बहस करते हुए कहा कि उनके मुव्वकिलों का कोई भी कृत्य गैरकानूनी नहीं है। फॉरेस्ट एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन तो पुलिस द्वारा किया गया है।

उल्लेखनीय है कि  31 दिसम्बर को साल का जश्न मनाने आये रईसजादों  थापर और नंदा परिवार के रईसजादों समेत 16  लोगों को रिजर्व फॉरेस्ट में बिना इजाजत मौज-मस्ती करने के आरोप में उत्तराखंड पुलिस ने  गिरफ्तार किया। ये लोग पौड़ी में लैंसडाउन रिजर्व फॉरेस्ट में हथियारों और शराब के साथ मौजूद थे, इनकी गिरफ्तारी की खबर मिलते ही दिल्ली से कई नामी वकीलों की टीम कोटद्वार पहुंची थी ,लेकिन कोर्ट ने वकीलों की दलीलों के बावजूद इन्हें पहले दिन ही जमानत न देकर पौड़ी जेल भेज दिया।

आरोपियों की ओर से एसीजेएम भवदीप रावते की अदालत में जमानत के लिए प्रार्थनापत्र लगाया गया था, लेकिन अदालत ने सुनवाई के लिए मंगलवार की तिथि निर्धारित कर दी है। मंगलवार को कोर्ट में उनकी जमानत पर बहस के लिए  आवेदन किया गया है , जिस पर न्यायालय ने सभी की जमानत की अर्जी रद्द कर दी  ।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुख्तार मोहसिन ने बताया कि आरक्षित क्षेत्र में जश्न मनाने के दौरान वन कानूनों की अनदेखी के इस मामले की जांच कालागढ़ के पुलिस इंस्पेक्टर प्रीतम सिंह को सौंपी गई है। कोटद्वार के कोतवाल उत्तम सिंह जिमिवाल की ओर से दर्ज इस मुकदमे की जांच उनके पक्षकार होने के चलते दूसरे थाने के इंस्पेक्टर को सौंपनी पड़ी है। जेलर डीपी सिन्हा ने बताया कि अदालत के आदेशानुसार सभी आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार में निरुद्ध किया गया है।

प्राप्त  जानकारी  के अनुसार विवेचना अधिकारी ने सोमवार को कोटद्वार पुलिस टीम के साथ घटनास्थल का मौका मुआयना कर साक्ष्य एकत्र करते हुए विवेचना शुरू कर दी। पुलिस के सर्च आपरेशन के बाद दर्ज मुकदमे से वन विभाग में हड़कंप मचा है।

आरक्षित वन क्षेत्र के भीतर पुलिस कार्रवाई के बाद हथियार व शराब की बरामदगी से वन महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। वहीँ रविवार को पुलिस ने लैंसडौन वन प्रभाग की कोटड़ी रेंज के अंतर्गत कोल्हूचौड़ वन विश्राम गृह में मौजूद पर्यटकों से एक राइफल, 38 जिंदा कारतूस के साथ ही शराब की बोतलें बरामद किये जाने बाद यह मामला और भी सुर्ख़ियों में छाया  है ।

 

devbhoomimedia

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