हाई कोर्ट : दिन में तीन बार होगी शिक्षकों की बायोमेट्रिक हाजिरी

राज्य सरकार बताये
- कौन से पाठ्यक्रम को मान्यता प्रदान की गई
- राज्य में कौन से शिक्षण संस्थान हैं मान्यता प्राप्त
नैनीताल : उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि किसी भी शिक्षक का पहाड़ से हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर या देहरादून अब तब ही स्थानांतरण होगा जब तक पहाड़ में 70 फीसद शिक्षक अपने पद पर कार्यरत होंगे। हाई कोर्ट ने राज्य के सभी स्कूल-कॉलेजों में दो साल के भीतर बॉयोमेट्रिक मशीन लगाने तथा एक दिन में तीन-तीन बार उपस्थिति लगाने के आदेश पारित किए हैं।
हाई कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा है कि एक माह के भीतर वेबसाइट में यह ब्योरा दर्ज किया जाए कि राज्य सरकार द्वारा कौन से कोर्स को मान्यता प्रदान की गई है और राज्य में कौन से शिक्षण संस्थान मान्यता प्राप्त हैं।
अल्मोड़ा निवासी व दिवंगत हो चुके दौलत राम सेमवाल की जनहित याचिका पर न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए जनहित याचिका में कहा गया था कि राज्य के स्कूल-कॉलेज में छह से सात घंटे पढ़ाई निर्धारित है मगर इसके बाद भी पढ़ाई नहीं हो रही है। इससे पहले भी हाई कोर्ट ने बॉयामेट्रिक हाजिरी लगाने के आदेश राज्य सरकार को दिए थे।
सोमवार को सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने आदेश पारित किया कि किसी भी अध्यापक का पहाड़ से हरिद्वार, देहरादून या ऊधमसिंह नगर इन तीन जिलों में तभी किया जाएगा जब पहाड़ के विद्यालयों में 70 फीसद पदों पर शिक्षक कार्यरत हों।