बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही शुरू जाएगी चार धाम यात्रा

छह मई को प्रातः खुलेंगे बद्रीनाथ के कपाट
हरीश मैखुरी
जोशीमठ : 4 मई को 8 बजे जोशीमठ से गाडू घड़ा (तेल कलश) और राजगद्दी पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी। 11 बजे पांडुकेश्वर पहुंचने के बाद कल रात्रि विश्राम योगध्यान बद्री मंदिर में ही रहेगा। 5 मई को सुबह 10 बजे कुबेर जी, उद्धव जी की डोली और राजगद्दी व गाडू घड़ा बद्रीनाथ के लिए प्रस्थान करेंगे साथ में मुख्य पुजारी रावल और सहायक पुजारी भी साथ चलेंगे भारी संख्या में श्रद्धालु भी रहेंगे और रात्रि प्रवास बद्रीपुरी में नियत स्थान पर करेंगे।
6 मई को सुबह ब्रहम मुर्हत में 4 बजकर 15 मिनट पर भगवान बद्री विशाल के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे इसी के साथ बद्रीनाथ में नारद पूजा संपन्न होकर मानव पूजा का आरंभ हो जाता है। श्रद्धालु अखण्ड दीप के दर्शन करेंगे और भगवान बद्री विशाल के निर्वाण दर्शनों का लाभ भी लेंगे। मूर्ति की स्थिति देखकर धर्माधिकारी और रावल जी ईष्ट के माध्यम से भारत का भविष्य बताएंगे, जबकि इस दिन पूरे दिन श्रद्धालुओं के लिए बद्रीनाथ के द्वार खुले रखें जाएंगे और सुबह भगवान को स्नान के पश्चात् बाल भोग लगाया जाएगा।
11 बजे भगवान का आभूषणों से श्रृंगार किया जाएगा उसके बाद मध्यान भोग लगेगा चंदन आरती, कंचन आरती व स्वर्ण आरती उतारी जाएगी, दिन भर करीब 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करेंगे। शाम को भगवान की सांघ्यकालीन भोग व आरती के पश्चात करबी 9 बजे पूजाएं संपन्न होंगी। पहले दिन बद्रीनाथ में भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बद्रीनाथ के मुख्यकार्याधिकारी, मंदिर समिति के अध्यक्ष सहित सैकड़ों जनप्रतिनिधि , मडिया व श्रद्धालु उपस्थित रहेंगे।
इस बार बद्रीनाथ में प्रसाद के अलावा मंदिर के अंदर किसी भी तरह की इलैक्ट्रोनिक डिवाइस व बैग इत्यादि ले जाने की मनाही है, सुरक्षा कारणों से सघन चेकिंग भी की जाएगी। श्रद्धालुओं को लंबी लाइन में न लगना पड़े उसके लिए टोकन सिस्टम विकसित किया गया है साथ ही सूचना संचार माध्यमों पर भी उपलब्ध रहेगी।
बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी जोशीमठ पहुंचे
जोशीमठ। छह माह तक दक्षिण भारत के विभिन्न हिस्सों में बदरीनाथ धाम के प्रचार-प्रसार के बाद बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी जोशीमठ पहुंच गए हैं। बुधवार को रावल ने श्री बदरीनाथ धाम की शीतकालीन पूजा स्थली नृङ्क्षसह मंदिर पहुंचकर भगवान की पूजा-अर्चना की। आज गुरुवार को रावल शंकराचार्य की गद्दी के साथ जोशीमठ से पांडुकेश्वर के लिए रवाना होंगे।
बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के जोशीमठ पहुंचने पर स्थानीय श्रद्धालुओं ने उनका स्वागत किया। बुधवार को नृङ्क्षसह भगवान के साथ ही उन्होंने सिद्धपीठ नवदुर्गा मंदिर में जाकर पूजा अर्चना की। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने बताया कि शीतकाल के दौरान वह केरल समेत दक्षिण भारत के कई अन्य राज्यों में बदरीनाथ धाम के प्रचार प्रसार के लिए गए।
इस दौरान उन्होंने दक्षिण भारत के लोगों को बदरीनाथ धाम की यात्रा पर आने का न्यौता दिया। रावल ने कहा कि 2013 की आपदा का भय अभी भी दक्षिण भारत के लोगों में हैं। परंतु उन्होंने बता दिया है कि अब बदरीनाथ धाम व उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन स्थलों की यात्रा सुरक्षित है। रावल आज गुरुवार को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ पांडुकेश्वर के लिए रवाना होंगे। यहां से पांच मई को उद्धव, कुबेर, गाडू घड़ा व शंकराचार्य गद्दी के साथ बदरीनाथ धाम पहुंचेंगे। जहां छह मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे।
गरुड़ में बैठकर अपने धाम के लिए रवाना हुए बद्रीविशाल
रावल ने भी किया विशेष पूजन
मंत्रोच्चारण और विधि-विधान के साथ बुधवार को जोशीमठ में गरुड़ छाड़ मेले का आयोजन किया गया। धार्मिक परंपरा के अनुसार, मेले के दौरान स्थानीय श्रद्धालुओं ने गरुड़ में बैठाकर श्री बदरीनाथ जी को जोशीमठ से बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान कराया।
मेले में छावनी बाजार से नृसिंह मंदिर तक एक रस्सी खींची गई। इसमें पहले लकड़ी से निर्मित गरुड़ को छोड़ा जाता है, इसके बाद विष्णु भगवान की प्रतिमा को रस्सी के सहारे आगे भेजा जाता है। मेले को करीब से देखने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु जुटे।
इस मौके पर देव पुजाई समिति के अध्यक्ष भुवन चंद्र उनियाल, बदरीनाथ के रावल ईश्वरन नंबूदरी, पूर्व पालिकाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, सतीश भट्ट, भोला प्रसाद, आदित्य भूषण सती, भगवती प्रसाद नंबूरी आदि मौजूद थे।
बदरीनाथ धाम के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी बुधवार को जोशीमठ पहुंच गए हैं। स्थानीय भक्तों ने रावल का फूल-मालाओं से स्वागत किया। रावल ने नृसिंह मंदिर में पूजा-अर्चना भी की।
बदरीनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने कहा कि बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद उन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया।धार्मिक आयोजनों में प्रतिभाग करने के साथ ही उन्होंने लोगों को बदरीनाथ की तीर्थयात्रा पर आने का न्योता भी दिया।
रावल ने कहा कि बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद अखंड ज्योति के दर्शन करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। बदरीनाथ में जगत के कल्याण के लिए स्वयं विष्णु भगवान तत्पर हैं। बृहस्पतिवार को रावल आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी व गाडू घड़ा कलश यात्रा के साथ योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगे।