कांग्रेस ने बागियों को घेरने के लिए बिछाई बिसात !
देहरादून : कांग्रेस के बागी नेताओं को मात देने के लिए कांग्रेस ने कहीं भाजपा के बागी तो कहीं दिग्गज और कई जगह जातीय समीकरणों का सहारा लिया है।कांग्रेस की बिछाई सियासी बिसात से बागियों की सीटों पर मुकाबला रोचक हो गया है। अब भाजपा इन सीटों पर कांग्रेस की रणनीति नाकाम करने के लिए जुगत में लग गई है। पार्टी ने अपने शीर्ष नेताओं की ड्यूटी इन सीटों पर लगाई है।
भाजपा ने कांग्रेस के बागी पूर्व मंत्री हरक सिंह को कोटद्वार से उतारा, जहां सरकार में मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी को कांग्रेस ने उतारा है। हरक सिंह 18 मार्च के सियासी घटनाक्रम के बाद से सीएम हरीश रावत के निशाने पर हैं। हरक को मात देने के लिए वहां भाजपा के बागी शैलेंद्र रावत को कांग्रेस ने अपने साथ ले लिया है। धुर विरोधी रहे शैलेंद्र और सुरेंद्र सिंह अब एक पार्टी में होने से हाथ के साथ गले भी मिल चुके हैं। शैलेंद्र यमकेश्वर से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं।
ऐसे में भाजपा ने इस सीट समेत प्रभावित होने वाली सीटों पर पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी के प्रभाव को इस्तेमाल करने की रणनीति बनाई है। इसकी काट के लिए कांग्रेस ने केदारनाथ विधानसभा में बगावत कर भाजपा में पहुंची शैलारानी रावत के खिलाफ नया चेहरा मनोज रावत उतारा है।
संभावना जताई जा रही थी कि इस सीट से कांग्रेस अपना प्रत्याशी भाजपा की पूर्व विधायक आशा नौटियाल को बना सकती है। कांग्रेस ने ठाकुर वोट बैंक की सियासत के तहत शैला के खिलाफ मनोज को उतारा है, जिससे नौटियाल बतौर निर्दलीय अगर भाजपा और ब्राह्मण वोट बैंक पर सेंध मारें तो उससे शैला के समीकरण बिगड़ जाएं। रुड़की में कांग्रेस ने बागी बनाम बागी का फार्मूला अपनाया है।
प्रदीप बत्रा के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस से बागी सुरेश चंद जैन के उतरने से दोनों दलों में खलबली है। नरेंद्रनगर विधानसभा में भी केदारनाथ की तरह जातीय समीकरणों का गणित कांग्रेस ने खेला है। बागी सुबोध उनियाल के खिलाफ ब्राह्मण प्रत्याशी हिमांशु बिजल्वाण को उतार दिया है। ऐसे में भाजपा के ठाकुर वोट बैंक पर भाजपा बागी ओम गोपाल रावत सेंधमारी कर उनियाल को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
ताजा बागी प्रकरण में यशपाल आर्य के खिलाफ सिख और दलित चेहरा उतारने के साथ सीएम हरीश रावत के बगल की सीट से उतरने का दबाव बनेगा, जिसके जवाब में भाजपा अब पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, भगत सिंह कोश्यारी और आर्य की संयुक्त टीम उतार रही है। रायपुर से बागी उमेश शर्मा काऊ के खिलाफ कांग्रेस ने लंबी माथापच्ची के बाद पूर्व ब्लॉक प्रमुख प्रभुलाल बहुगुणा को प्रत्याशी बनाया है, जिनसे पहाड़ी मूल के मतदाताओं के साथ पुराना अनुभव माना जा रहा है।
जसपुर सीट से शैलेंद्र मोहन सिंघल के खिलाफ आदेश चौहान को प्रत्याशी बनाया है। सितारगंज सीट से पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ के खिलाफ कांग्रेस ने बंगाली मतदाता का कार्ड खेला है। सितारगंज में बंगाली मतदाता जीत हार के समीकरणों को भी तय करते हैं।
जीत का दांव खेलकर भाजपा ने कांग्रेस के जिन दर्जन भर बागी नेताओं को अपने पाले में लिया, उनको लेकर सीएम रावत की रणनीति का तोड़ भाजपा तलाश रही है। भाजपा में कांग्रेस से पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, हरक सिंह, सुबोध उनियाल, शैलेंद्र मोहन सिंघल, प्रदीप बत्रा, उमेश काऊ, कुंवर प्रणव, अमृता रावत, शैलारानी रावत, रेखा आर्य और यशपाल आर्य बीते 10 माह में शामिल हुए हैं।
इन नेताओं की विधानसभा सीटों पर भाजपा को दोहरी चुनौती झेलनी पड़ी है। एक तो उनके आने से भाजपा के दावेदार नाराज हैं, दूसरा सीएम हरीश रावत ने इन सीटों को लेकर विशेष रणनीति बनाई है। भाजपा ने कांग्रेस के बागियों की राह आसान करने के लिए डैमेज कंट्रोल टीमें उनके क्षेत्रों में लगा दी हैं। पार्टी के अंदर पनपे असंतोष और बागियों के समर्थन में पार्टी कैडर को लाने के लिए ताकत झोंक दी है। हर बागी के साथ पार्टी का प्रदेश स्तरीय नेता लगा दिया है, जिससे कैडर उनसे जुड़ा हुआ महसूस करे।