UTTARAKHAND

दल-बदलुओं को टिकट देने में कांग्रेस भी भाजपा से ज्यादा पीछे नहीं

देहरादून । उत्तराखंड  में बीजेपी और कांग्रेस ने दलबदलुओं को टिकट देने का इस बार नया रिकार्ड बना दिया है। मिशन 2017 को फतह करने के लिए बीजेपी ने एक दर्जन से ज्यादा और कांग्रेस ने आधा दर्जन दलबदलुओं को टिकट दिए हैं। अब ये देखना दिलचस्प होगा की मतदाता इन दलबदलुओं और पालाबदलुओं में कितनों को अपने सिर माथे रखेंगे।

वैसे तो हर आम चुनाव में आया राम, गया राम होता ही रहा है, लेकिन इस बार उत्तराखंड में तो पालाबदल का नया इतिहास बन गया है। भारतीय जनता पार्टी  ने पहले ही कांग्रेस के बागियों और पार्टी  छोड़कर आए नेताओं को टिकट का इनाम दे चुकी है। कांग्रेस ने भी मिशन 2017 को फतह करने के लिए बीजेपी के आधा दर्जन बागी नेताओं को टिकट देने में कोई  हिचक नहीं दिखाई है। कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी   का दामन छोडऩे वाले आधा दर्जन नेताओं को अपना सिंबल दिया है, जिनमें पांच पूर्व विधायक  और एक महिला नेत्री शामिल हैं।

वहीँ कांग्रेस में टिकट हासिल करने वाले दलबदलुओं की फेहरिस्त में रूडकी से सुरेश जैन, यमकेश्वर से शैलेन्द्र  रावत, पुरोला से राजकुमार, घनसाली से भीमलाल आर्य, भीमताल से दान सिंह भंडारी, बाजपुर से सुनीता बाजवा शामिल हैं। तो भारतीय जनता पार्टी   ने हरीश रावत सरकार के खिलाफ विधानसभा में तख्तापलट करने की कोशिश करने वाले सभी बागियों को टिकट दिए हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की जगह उनके बेटे सौरभ बहुगुणा और विधायक  अमृता रावत की जगह उनके पति सतपाल महाराज को टिकट मिला है।

भाजपा द्वारा जिन दलबदलुओं को टिकट दिया गया है उनमें कोटद्वार से डॉ.हरक सिंह रावत,चौबट्टाखाल से सतपाल महाराज, केदारनाथ से शैला रानी रावत, यमुनोत्री से केदार सिंह रावत, नरेन्द्रनगर  से सुबोध उनियाल, खानपुर से कुंवर प्रणव चैंपियन, रूडकी से प्रदीप बत्रा, भगवानपुर से सुबोध राकेश, रायपुर से उमेश शर्मा काऊ , जसपुर से डॉ. शैलेन्द्र मोहन सिंघल, सितारगंज से सौरभ बहुगुणा, बाजपुर से यशपाल आर्य, नैनीताल से संजीव आर्य, सोमेश्वर से रेखा आर्य शामिल हैं।

खास बात यह है कि कांग्रेस का दलित चेहरा रहे यशपाल आर्य बगावत के समय तो हरीश रावत के साथ खड़े रहे, लेकिन ऐन टिकट बंटने से पहले यशपाल ने अपने बेटे संजीव आर्य को टिकट की गारंटी मिलने पर हाथ का साथ छोडकर बीजेपी का दामन थाम लिया। मतलब ये कि देवभूमि में चुनावी जीत की खातिर पालाबदलुओं पर दरियादिली दिखाते हुए बीजेपी आगे तो कांग्रेस भी उसके पीछे चलती नजर आ रही है। अब देखना होगा कि उत्तराखंड की जनता इस चुनाव में दलबदलुओं को कहां तक स्वीकार करती है।

devbhoomimedia

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