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बद्रीनाथ मन्दिर के कपाट शीतकाल के लिए बन्द

बद्रीनाथ :  मध्य हिमालय में समुद्रतल से 10350 फीट की ऊँचाई पर नर-नारायण उर्वशी हिमाच्छादित पर्वतश्रृंखलाओं स्थित अष्ठम बैकुण्ठ धाम बद्रीनाथ आज सांध्यकाल में महूर्तानुसार 03 बजकर 45 मिनट पर बन्द हो गए। अब यह पुण्य तीर्थ शठ मास देवताओं द्वारा पूजित होगा।

इस अवसर पर आज ब्रहममुहूर्त से ही वैदिक रीति व वेद ऋचाओं द्वारा भगवान बद्रीनाथ जी की शालिग्राम शिला पर बनी विग्रह भगवान बद्रीविशाल जी की स्वयंभू मूर्ति का रावल श्री केशवन नम्बूदरी द्वारा मदमासन में विराजमान भगवान का महाअभिषेक किया गया और तदोपरान्त देश भर से आए विष्णुभक्तों द्वारा भगवान की विभिन्न प्रजाति के फूलों द्वारा सुसज्जित भगवान बद्रीविशाल तीनों आरतियां स्वर्ण रजत व कपूर द्वारा उतारी। दिनभर मंदिर भगवान बद्रीविशाल के दर्शनों के लिए खुला रहेगा। भगवान के भोग लगाने के 6 माह तक लक्ष्मी जी की पूजा डिमरी समुदाय द्वारा कडाई पूजन किया जायेगा और रावल जी द्वारा स्त्री भेष में महालक्ष्मी की मूर्ति को भोग के बाद मन्दिर बद्रीनाथ जी के गर्भगृह में भगवान बद्रीनाथ जी के पास रखा जाता है।

इसके बाद श्री बद्रीनाथ मन्दिर के रावल द्वारा स्वयं मूर्ति के विग्रह पर चौदह किलो गाय का घी व घृतकम्बल ओढाई जायेगी। यह कम्बल भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित अंतिम ग्राम माणा में इस सप्ताह परम्परानुसार स्थानीय भेड़ों से प्राप्त ऊन से बुनी गयी है। इस कम्बल को मोल्या जाति की कुंवारी कन्या द्वारा बुना जाता है। इसी बीच लक्ष्मी जी की मूर्ति को भगवान बद्रीनाथ के रावल भगवान की मूर्ति के साथ स्वयं भू मूर्ति पर रखते हैं व गर्भ गृह से भगवान के सखा उद्धव जी मूर्ति को कुबेर जी की मूर्ति एवं गरूड़ जी मूर्ति को बाहर निकालने के साथ-साथ कपाट बन्द कर दिये जायेंगे।

इस पुण्य बेला पर गढ़वाल स्काउट का बैण्ड 

श्री पवन मंद सुगन्ध शीतल श्री बद्रीनाथ विषम्बरम्… की धुन बजा रहा था और लगभग 3 हजार तीर्थयात्री इसे देश-विदेश के विभिन्न स्थानोंसे आये हुए यात्री और स्थानीय लोग थे, भजन-कीर्तन कर रहे थे। रावल बद्रीनाथ ने परम्परानुसार भोज पत्र से बनाये गये छाते की ओट से मन्दिर परकोटे से बाहर ज्योंति निकल तीर्थयात्रियों ने भगवान बद्रीविशाल जी की जय के साथ उनकी आगवानी की।

आज रात्रि विश्राम बद्रीनाथपुरी में करने के पश्चात रावल श्री बद्रीनाथ व उद्धव जी का उत्सव डोल परम्परागत ढंग से पाण्डुकेश्वर के लिए मार्ग में भक्तों को दर्शन कराते हुए भक्तगणों द्वारा ले जाया जायेगा व कल दोपहर तक इसको वासुदेव मन्दिर पांडुकेश्वर में प्रतिष्ठापित 6 माह पूजा के लिए यह किया जायेगा। इस प्रकार से शीतकाल की पूजा-अर्चना पाण्डुकेश्वर में ही होती रहेगी और तीर्थयात्री शीतकाल में भी आकर के भगवान के दर्शनों का पुण्य अर्जित कर सकते हैं।

कपाट बन्द होने के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत, विधायक बद्रीनाथ धाम श्री राजेन्द्र भण्डारी, विधायक कपकोट श्री ललित फस्र्वाण, विधायक प्रतापनगर श्री विक्रम सिंह, श्री बद्रीनाथ केदार मन्दिर समिति के अध्यक्ष श्री गणेश गोदियाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी0डी0 सिंह आदि मौजूद थे।

devbhoomimedia

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