महिला अधिकारों के संघर्ष के लिए नौ संगठनों का बना एक साझा संगठन

हल्द्वानी : उत्तराखंड में जल-जंगल जमीन, नशा, महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण महिलाओं को किसान का दर्जा देने समेत छह मुद्दों को पर राज्य के महिलाओं के सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर संघर्ष करने का निर्णय लिया है । सम्मलेन में यह भी तय हुआ कि बहुत जल्द महिला संगठन साझा मंच यानि एक कोर कमेटी गठित कर जिम्मेदारियां बांटेगा। वहीँ बड़े जनआंदोलनों में सभी संगठन एकसाथ मिलकर मोर्चा संभालेंगे। सम्मेलन के दौरान 20 प्रस्तावों पर मोहर भी लगायी गयी और महिला संगठन वर्ष 2018 में इन सभी मुद्दों पर एक साथ संघर्ष करेंगे।
हल्द्वानी में बीते दो दिनों से छह सत्रों में चले महिलाओं के इस सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड के विभिन्न मुद्दों और अधिकारों को लेकर महिलाओं के नौ सक्रिय सामाजिक संगठनों ने साझा मंच बनाकर मोर्चा खोलने का फैसला कर लिया, इसके बाद अब महिलाओं के तमाम सामाजिक संगठन एकजुट होकर संघर्ष करेंगे।
गौरतलब हो कि बुधवार से शुरू हुए सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान पर्यावरणविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेधा पाटकर, सामजिक कार्यकर्ता राधा बहन, लोक गायिका कबूतरी देवी समेत कई प्रमुख महिलाएं उपस्थित रहीं ।
दो दिवसीय महिला सम्मेलन के बाद प्रदेशभर से आयी महिलाओं ने दो नहरिया स्थित बैंक्वेट हॉल से नगर में जुलूस भी निकाला। जुलूस बैंक्वेट हाल से शुरू होकर एमबी इंटर कॉलेज, तिकोनिया होते हुए एसडीएम कोर्ट पहुंचा। यहां महिलाओं ने विभिन्न मांगों और प्रस्तावों को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा । जुलूस-प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने नारी सशक्तिकरण के गीत, ‘मैं भी छू सकती हूं आकाश, मौके की है मुझे तलाश’, ‘नारी के सम्मान बिना हर घर अधूरा’, शराब विरोधी, शिक्षा, नशा विरोध आदि के पोस्टरों और नारों से रैली निकाली गयी।
बैठक में पारित सभी प्रस्तावों को लेकर महिला प्रतिनिधि मंडल जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलेगा। गुरुवार को आयोजित सम्मेलन में सभी प्रस्ताव पारित होने के बाद कार्यक्रम संचालिका शीला रजवार ने बताया कि जल्द ही एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मिलेगा जो यहाँ पारित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के सामने रखेगा।
वहीँ सम्मलेन में राज्य के जल, जंगल, जमीन पर आहूत सत्र में महिलाओं ने प्रकृति,जल स्रोत को सुरक्षित रखने की कही। पुष्पा गैड़ा द्वारा रिपोर्ट में चार धाम महा मार्ग योजना, वनाधिकार कानूनों के तहत रणनीति निर्माण, रुपाली नदी बांध, पंचेश्वर बांध का विरोध करने का निर्णय लिया गया। इसमें वक्ताओं ने कहा कि पंचेश्वर बांध बनने से प्राकृतिक स्रोत पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगे।
उत्तरकाशी से आयी शिक्षिका रेखा चमोली ने कहा कि प्रदेश में एक समान शिक्षा लागू नहीं होने से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। राज्य में पढ़ाई अमीरी और गरीबी के बीच हो रही है। गरीब परिवार के लोग सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं जबकि अमीर लोगों की पहली पसंद प्राइवेट स्कूल है इस कारण शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव होते जा रहा है।
सरकार द्वारा महिलाओं के लिए विभिन्न स्वास्थ्य सुविधा की बात की जाती है। लेकिन ये सुविधा सिर्फ गर्भवती महिलाओं के लिए होती है। सरकार बालिका और अन्य महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधा या समय समय पर मेडिकल कैंप लगाने चाहिए। साथ ही राज्य में अस्पतालों की कमी नहीं है बल्कि मानवीय संसाधनों को कमी है। पहाड़ों में अस्पताल तो है लेकिन वहां डाक्टरों की कमी है। साथ ही सरकारी डॉक्टरों ने अपने क्लीनिक भी खोले हैं। जो कि नियम के विरुद्ध है। इसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
सम्मेलन में गुरुवार को विभिन्न मुद्दों को पर विचार किया गया। इसमें प्रेमा आर्या ने कहा कि खेती बाड़ी महिला का विशेष योगदान रहा है। और महिलाओं द्वारा ही पहाड़ों में अभी भी पारंपरिक खेती देखने को मिलती है। इसके बाद भी महिलाओं को इसका मालिकाना हक नहीं मिल पाता है। सरकार को इसके लिए ठोक कदम उठाने चाहिए। साथ ही जंगली जानवरों द्वारा जो फसल नष्ट की जाती है उसका पूरा मुआवजा भी मिलना चाहिए।
सम्मलेन में नशे और ड्रग्स में रिपोर्ट देते हुए कंचन बिष्ट ने कहा कि राज्य को नशा रोजगार चाहिए। साथ ही इसका असर युवा पीड़ी में ज्यादा देखने को मिल रहा है। इसमें संगठन ने कहा कि जल्द ही नशा विरोधी आंदोलन और शादी समारोह, बैंक्वेट हॉल में परोसे जा रहे नशे को बंद करने संबंधी प्रस्ताव को पारित किया गया।
सम्मलेन में वक्ताओं ने कि अब समय आ गया कि जब महिलाओं को एकत्रित होकर अधिकारों के लिए लड़ना होना। सुनीता शाही ने कहा कि ये लड़ाई केवल इस मैदान तक ही सीमित नहीं है। हमको महिलाओं को जागरुक करने के लिए पूरे प्रदेश भर में जागरुकता अभियान चलाना होगा। साथ महिलाओं को घरेलू हिंसा, अत्याचार उत्पीड़न के विरोध में खुद आगे आना होगा।
उत्तराखंड महिला सम्मेलन में कुमाऊं और गढ़वाल से सैकड़ों महिलाओं, संगठनों से प्रतिभाग किया। लेकिन इन सभी के बीच उत्तरकाशी की महिला संगठन ने सबको अपनी ओर आकर्षित किया। उत्तरकाशी से आयी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपने पारंपरिक वेशभूषा में सबको अपने ओर आकर्षित कर रही थी।
महिला सम्मेलन में इन प्रस्तावों पर लगी मुहर
1- पंचेश्वर बांध और रूपाली बांध पर जल्द रोक लगाने
2- राज्य में शराब बंदी लागू करने
3- रुद्रप्रयाग पर हाईड्रो इलेक्ट्रिकल प्रोजेक्ट के विरोध पर 16 मामलों को खारिज करने
4- विवाह के नाम पर महिलाओं की तस्करी एवं बेमेल विवाहों के आंकड़े एकत्र किये जायेंगे।
5- एकल महिला की पहचान और पेंशन के लिए कानून बनाने, घरेलू हिंसा के मामलों में आईसीटीएस के अलावा एक अलग ढांचा विकसित करने
6- गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने
7- पलायन रोकने के लिए ठोस कदम उठाने
8- महिला हिंसा, महिला तस्करी और बाल विवाह रोकने के लिए ठोस कानून बनाने
9- परिवार नियोजन हेतु पुरुषों की नसबंदी भी अधिक कराई जाए
10- स्कूलों में माहवारी के दौरान छात्राओं को सैनेटरी पैड उपलब्ध कराये जाएं
11- चारधाम महामार्ग निर्माण योजना बंद कराई जाए
12- महिलाओं को किसान का दर्जा और मालिकाना हक
13- जानवरों द्वारा फसलों को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई करने
14- किसानों का कर्ज माफ करने
15- समान शिक्षा व्यवस्था लागू की जाए
16- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण रोकने
17- महिला वाचक गालियों के प्रयोग को दंडनीय अपराध माना जाए
18- जिला स्तर पर विक्षिप्त, दिव्यांग महिलाओं के लिए सेल्टर होम बनाने
19- मुजफ्फरनगर कांड के आरोपी को सजा दिलाने
20- प्रतिपरक वनीकरण कानून 2016 को रद्द कराने और वन अधिकार कानून 2006 फिर लागू करने