Uttarakhand

19 प्रतिशत जनसंख्या ने 10 सालों में किया पर्वतीय जिलों से पलायन

  • -पलायन को लेकर पलायन आयोग करा रहा व्यापक सर्वे

बेतालघाट (नैनीताल) । पहाडों से हो रहे पलायन को रोकने तथा उसके कारणों को जानने के लिए उत्तराखण्ड पलायन आयोग द्वारा पलायन पर व्यापक सर्वे कराया जा रहा हैं। यह बात उत्तराखण्ड पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस. नेगी ने गुरूवार को ब्लाक सभागार बेतालघाट  में अधिकारियों, ग्राम प्रधानों,क्षेत्र पंचायत सदस्यों, स्वयंसेवियों व अन्य जनप्रतिनिधियों  के साथ  आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए कही। 

श्री नेगी ने कहा कि विगत 10 वर्षो में पर्वतीय जनपदों से लगभग 19 प्रतिशत जनसंख्या का पलायन हुआ है। जिसमें जनपद पौडी और अल्मोडा में पलायन का प्रतिशत बढा है। उन्होंने कहा कि दूरदराज क्षेत्र में रह रहे लोगों को पलायन से रोकने लिए उपायों पर भी मंथन करने की आवश्यकता र्है। उन्होंने कहा कि जो लोग गांव को छोडकर शहर की ओर जा रहे हैं जिससे 10 प्रतिशत भूमि बंजर हो चुकी है उन्होंने जनप्रतिनिधियों से पलायन के कारण और उसे रोकने पर सुझाव आमंत्रित किये। उन्होने ग्राम विकास अधिकारियों तथा विकास से जुडे अधिकारियों से सर्वे कार्य में सहयोग की अपेक्षा करते हुए लोगों की आय को दोगुनी करने के लिए उन्हें कृषि व अन्य रोजगार से जोडने के लिए प्रेरित करने को कहा।

बैठक में उपस्थित ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों व अन्य जनप्रतिनिधियों ने पलायन के कारण और  उसे रोकने पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पहाड में पलायन का मुख्य कारण स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना,दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों के पद रिक्त होना,जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुॅचाना, ग्राम स्तर पर योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन न होना, असिंचित क्षेत्र में पानी की कमी,जनपद में खडिया आधारित उद्योग स्थापित न होना, यहां पर बहुतायत मात्रा में उत्पादित  लीसा के कच्चा माल का स्थानीय स्तर प्रोसेसिंग का सुझाव दिया । पलायन का मुख्य कारण युवाओं के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण के साथ रोजगार सृजन के अवसर की कमी बताया। 

अधिकारियों ने पहाड से पलायन को रोकने के लिए शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार लाने की आवश्यकता बताई। इसके लिए दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयो में शिक्षकों की नियुक्ति होना जरूरी बताया। अधिकारियों ने कहा कि स्वास्थ्य,शिक्षा को जरूरी बताते हुए यहां दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में रोजगार की सम्भावना व न्याय पंचायत स्तर पर फल,सब्जी, दूध के विपणन की व्यवस्था,कच्चा माल के डिहाईडेशन प्लान स्थापित करने, जनपद में नाशपाती का प्रचुर मात्रा में उत्पादन होता है लेकिन कोल्ड स्टोरेज स्थापित न होने पर किसानों को उसका उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।

अधिकारियों ने कहा कि जनपद में पर्यटन की अपार सम्भावनाओं को देखते हुए पर्यटन स्थलों के सुधारीकरण के लिए कार्य करने की आवश्यकता बताई। बैठक में जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों द्वारा पलायन को रोकने के लिए अनेक सुझाव दिये गये। जिला विकास अधिकारी रमा गोस्वामी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक सुख-सुविधाओं की कमी व आजीविका के सीमित संसाधनों का होना, आरामदायक जीवन जीने की लालसा ही पलायन का मुख्य कारण है।

उन्होंने कहा कि पलायन को रोकने व पलायन कर चुके व्यक्तियों के पुनः पहाड़ों पर प्रवास के लिए दुर्गम क्षेत्रों में भी आधुनिक सुख सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही राज्य की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृति विरासत को और अधिक मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कि  कृषि, पशुपालन, जड़ी बूटी उद्योग व पर्यटन व्यवसाय को आधुनिक रूप में विकसित कर के ही पलायन को रोका जा सकता है।

कार्यक्रम में जिला पंचायत सदस्य पीसी गोरखा, ग्राम प्रधान नन्दीदेवी,दीवान सिह,चन्द्रशेखर आर्य, कमलादेवी, बीना बेलवाल,जिला अर्थ संख्याधिकारी ललित मोहन जोशी,सहायक विकास अधिकारी केएस काण्डपाल,बीएस विष्ट के अलावा ज्योति जलाल, मीरा मेहरा, ललिता पाण्डेय, रेखा देवी, रेखा बोहरा, हेमा देवी, हरेन्द्र सिह, धनादेवी, अन्जू विष्ट, नीमा रावत, चम्पा विष्ट,मनोरमा देवी, जया भण्डारी,कमला जोशी, तारा देवी के अलावा बडी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।  

devbhoomimedia

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